आधा दर्जन कांग्रेसियों ने पूछा सवाल : डा. रमन बताएं कि कहां से आई इतनी संपत्ति ?

शेयर करें...

नेशन अलर्ट / 97706 56789

रायपुर.

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह व उनके परिवार को घेरने के लिए सत्ताधारी दल कांग्रेस ने आज अपने आधा दर्जन नेताओं को मैदान में उतार दिया. इन सबने रमन व उनके परिवार की आय को लेकर दस्तावेजों के आधार पर अनगिनत आरोप लगाए.

उल्लेखनीय है कि डा. रमन सिंह से ज्यादा चर्चा में आजकल उनकी आय है. कांग्रेस बहुत पहले से रमन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रही थी.अब इसमें उसने उनकी पत्नी व पुत्र के अलावा अन्य परिजनों को लेकर भी सवाल किए हैं.

ईओडब्ल्यू से लेकर पीएमओ तक पहुंचा मामला

दरअसल, डा. सिंह की संपत्ति से जुडे़ आरोप का मामला राज्य के ईओडब्ल्यू से लेकर देश के सर्वाधिक ताकतवर कार्यालय पीएमओ तक पहुंच गया है.

कांग्रेस की ओर से विनोद तिवारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत पूर्व में की थी. तिवारी द्वारा इस शिकायत पर अभी हाल ही में बयान जारी कर कहा गया कि यह अगले स्तर पर पहुंच गई है.

इस पर डा. रमन ने अपनी ओर से सफाई भी दी थी. इस पर कांग्रेस ने पीएमओ पर सवालिया निशान डा. सिंह द्वारा लगाए जाने का आरोप लगाया था.

दूसरी तरफ मंगलवार को कांग्रेस ने अपने आधा दर्जन नेताओं को रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह, पुत्र अभिषेक सिंह व परिवार को घेरने मैदान में उतार दिया. इसमें शैलेशनितिन त्रिवेदी, राजेंद्र तिवारी, रमेश वर्ल्यानी, गिरीश देवांगन, विकास तिवारी, धनंजय ठाकुर जैसे नाम शामिल थे.

इन सबने डा. रमन सिंह द्वारा लडे़ गए विधानसभा चुनावों में दायर किए गए शपथ पत्र में दर्शाई गई राशि, सोना-चांदी, कर्ज आदि पर कई तरह के सवाल किए हैं. पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने जो कुछ कहा वह यहां प्रकाशित किया जा रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को पिछले दिनों एक पत्रवार्ता में वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे जी ने ‘घोटालों का महानायक’ कहा था. उस दिन बात रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों और कमीशनखोरी की हो रही थी. आज हम रमन सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती वीणा सिंह की आय और संपत्तियों की बात करेंगे.

हम सवाल पूछना चाहते हैं कि रमन सिंह की संपत्तियां 2008 से 2018 के तीन चुनावों के बीच कैसे दस गुना से अधिक बढ़ गयी? उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे उनकी संपत्तियां इस तरह बढ़ती गईं ? उनके और उनकी पत्नी के पास इतना पैसा कहां से आया ?

पूरा छत्तीसगढ़ जानता हैं कि रमन सिंह एक अत्यंत सामान्य आर्थिक परिस्थिति के परिवार से आते हैं. उनके परिवार के पास न तो अधिक ज़मीन जायजाद है और न कोई पुश्तैनी कारोबार या उद्योग है.

सामान्य वकील थे पिता

उनके पिता विघ्नहरण सिंह जी एक सामान्य वकील थे. ख़ुद रमन सिंह ने आयुर्वेद में डिग्री ली है. वे कवर्धा में एक असफल डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहे.

उन पर आश्रित बच्चों ने प्रोफ़ेशनल डिग्रियां ली हैं. ज़ाहिर है कि इसमें भी अच्छा ख़ासा पैसा खर्च हुआ होगा लेकिन उनकी संपत्ति में आय से कई गुना अधिक की वृद्धि हुई है. हमने उनके तीन चुनाव शपथ पत्र निकालकर देखे हैं.

चुनाव लड़ते वक़्त चुनाव आयोग के निर्देशानुसार संपत्तियों, कमाई और खर्च का जो विवरण डॉ रमन सिंह ने जमा किया है, यह सिर्फ़ उसका आंकलन है. इस आंकलन के अनुसार वर्ष 2008 में उनके पास एक करोड़, चार लाख की संपत्ति थी.

उस समय तक रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुके थे. लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसा कुछ उल्लेखनीय करना शुरु किया जिससे कि उनकी संपत्ति अगले चुनाव तक यानी वर्ष 2013 तक बढ़कर पांच करोड़ 61 लाख हो चुकी थी.

पांच गुना से अधिक बढी़ संपत्ति

वर्ष 2008 से वर्ष 2013 तक रमन सिंह की संपत्ति पांच गुने से अधिक बढ़ गई. मुख्यमंत्री के रूप में तीसरे कार्यकाल के समाप्त होने तक यानी वर्ष 2018 में उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि उनकी संपत्ति दो गुना होकर 10 करोड़ 72 लाख हो चुकी थी.

यह स्थिति तब है जब उनकी आय अत्यंत सीमित थी. वर्ष 2012-13 में उन्होंने जो आयकर रिटर्न भरा था उसके अनुसार उनकी आय 14 लाख 60 हज़ार के क़रीब थी. इसी दौरान उनकी पत्नी की आय 12 लाख 52 हज़ार के क़रीब थी.

वर्ष 2013 में रमन सिंह पर 28 लाख से अधिक का कर्ज़ था. लेकिन वह भी उन्होंने पांच साल के भीतर चुका दिया था क्योंकि वर्ष 2018 के चुनाव में उन्होंने बताया है कि उन पर कुल देनदारी तीन हज़ार रुपए ही बची थी.

यह इतना बड़ा कर्ज़ उन्होंने कैसे चुकाया? इतनी कम आय में संपत्तियाँ दस गुना कैसे बढ़ी यह जांच का विषय है?

क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी ने उगला सोना चांदी?

वर्ष 2008 से 2018 तक के विवरण को यदि आप सरसरी तौर पर भी देखें तो आपको लगेगा कि पता नहीं रमन सिंह और उनकी पत्नी को ऐसा कौन सा पारस पत्थर मिल गया था कि उनके पास सोना और चांदी की मात्रा बेतहाशा बढ़ती रही.

2008 के चुनाव के वक्त रमन सिंह के पास 23 तोला सोना था जो वर्ष 2013 के चुनाव तक बढ़कर 55 तोला हो चुका था. इसकी क़ीमत भी बढ़कर पांच लाख से 26.40 लाख हो चुकी थी. इसी अवधि में रमन सिंह की पत्नी श्रीमती वीणा सिंह के पास सोना चार गुना बढ़ चुका था.

55 तोला से बढ़कर सोना 217 तोला हुआ

चुनावी शपथ पत्र के अनुसार श्रीमती वीणा सिंह के पास सोना 55 तोले से बढ़कर 217 तोला हो गया था. यानी 2013 के चुनाव तक श्रीमती सिंह के पास दो किलो से अधिक सोना हो चुका था. क़ीमत के अनुसार देखें तो 7.5 लाख रुपए के सोने से वे 80.80 लाख के सोने तक पहुंच चुकी थीं.

पति पत्नी दोनों की आय लगभग 27 लाख रुपए सालाना थी लेकिन उनकी संपत्ति पांच गुना बढ़कर एक करोड़ से पांच करोड़ हो चुकी थी. 2008 से 2013 के बीच श्रीमती वीणा सिंह के पास सिर्फ़ सोना ही नहीं बढ़ा चांदी भी आठ किलो से बढ़कर 18 किलो हो चुकी थी.

वैसे सोना तो श्रीमती सिंह के पास 2013 से 2018 तक भी बढ़ता रहा और जब रमन सिंह की पार्टी का छत्तीसगढ़ से सफ़ाया हुआ तो उनके पास 235 तोला सोना था. यानी दो किलो 350 ग्राम सोना. इसकी क़ीमत उस वक़्त 90 लाख रुपए आंकी गई है.

साढे़ 5 लाख से बढ़कर जमा पूंजी हुई 1.40 करोड़

वर्ष 2008 से 2018 तक का आंकलन करें तो आप पाएंगे कि सीमित आय और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बावजूद रमन सिंह और उनकी पत्नी के बैंक खातों में जमा धन राशि भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही.

मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद यानी वर्ष 2008 में सिंह दंपत्ति के पास बैंक खातों में कुल पांच लाख 43 हज़ार रुपए थे. लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा होते होते तक उनके खातों में 61 लाख 61 हज़ार रुपए जमा हो चुके थे. तीसरा कार्यकाल पूरा करते तक उनके खातों में लगभग 1.40 करोड़ रुपए जमा हो चुके थे.

रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह ने 33 वर्ष की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ा. उन्होंने अपने चुनावी शपथ पत्र में लिखा है कि उनकी वार्षिक आय उस समय 19.89 लाख रुपए थी जबकि उनकी कुल परिसंपत्तियां तीन करोड़ से अधिक की हैं.

डॉ रमन सिंह को छत्तीसगढ़ की जनता को बताना चाहिए कि अभिषेक सिंह ऐसे किस काम से जुड़े हुए थे जिसकी वजह से उनकी आय इस तरह बढ़ रही थी और वे करोड़ों के मालिक बन चुके थे.

इन दस वर्षों में सिर्फ़ रमन सिंह और वीणा सिंह ही नहीं अविभाजित हिंदू परिवार (एचयुएफ) की संपत्ति भी दनादन लगातार बढ़ती रही. जब रमन सिंह की परिसंपत्तियों की जांच हो तो उनके एचयुएफ खातों और आय के साधनों की भी जांच होनी चाहिए.

दस साल में एक से दस करोड़ हुई संपत्ति

रमन सिंह की घोषित संपत्ति जिस तरह से बढ़ी है वह आय से अधिक संपत्ति का मामला है. दस साल में एक करोड़ से दस करोड़ की संपत्ति का होना साबित करता है कि घोटालों के जो आरोप अब तक रमन सिंह पर लगे हैं वे एकदम सही आरोप हैं. इन्हीं घोटालों से रमन सिंह और उनके परिवार ने जमकर पैसे बनाए हैं.

वर्ष 2008 से 2013 के बीच यानी रमन सिंह जी के दूसरे कार्यकाल में सबसे अधिक घोटाले हुए. इसी बीच रमन सिंह की संपत्ति भी बेतहाशा बढ़ी. घोटालों और संपत्ति में बढ़ोत्तरी का समीकरण सीधा है और इसकी जांच होनी चाहिए..इस पूरे मामले की शिकायत ईओडब्लू और प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा चुकी है.

कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करती है कि वे ‘न खाउंगा न खाने दूंगा’ के अपने वादे पर अमल करें और बहुत कुछ खाकर सत्ता खो चुके रमन सिंह के खिलाफ भी जांच के आदेश दें. कांग्रेस डॉ रमन सिंह से मांग करती है कि वे भी अपनी और अपनी पत्नी की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी का हिसाब राज्य की जनता को दें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *