जयश्री राम की जगह प्रियंका का जोर जय सियाराम की राम जोहार पर
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नईदिल्ली.
दादी और पिता के रास्ते पर चलकर प्रियंका गांधी कांग्रेस को राम के पास वापस ले जाना चाहती हैं. इसीलिए जब एक तरफ पार्टी के कई नेता अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखने वाले कार्यक्रम के मुहूर्त समय और आयोजन के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं, प्रियंका ने संघ परिवार के जय श्रीराम को जय सियाराम में बदलने की कोशिश शुरू कर दी है.
प्रियंका उत्तर प्रदेश के सियासी रण में अयोध्या और राम की अहमियत समझती हैं. वह यूपीए सरकार वाली कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता को इंदिरा और राजीव वाली सर्वधर्म समभाव की सोच में बदलना चाहती हैं.
उन्होंने जता दिया है कि इसके लिए उन्हें न राम से परहेज है न राम मंदिर से और न ही अयोध्या से लेकिन वह संघ परिवार के आक्रामक नारे जय श्रीराम के उद्घोष की जगह सदियों से जन-जन में प्रचलित जय सियाराम की राम जोहार को कांग्रेस की पहचान बनाना चाहती हैं.
मंगलवार की सुबह यानी आधारशिला समारोह से ठीक एक दिन पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया- सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनबद्धता, दीनबंधु राम नाम का सार है. राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं. भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने.
अपने ट्वीट के साथ ही प्रियंका ने अपना वक्तव्य भी संलग्न किया जिसमें उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण के अमिट प्रभाव का जिक्र करते हुए भगवान राम और माता सीता की गाथा को हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों का प्रकाशपुंज बताया.
तुलसी के हरि अनंत हरि कथा अनंता को राम और रामायण के अनगिनत रूपों की अभिव्यक्ति बताया. जहां मंदिर आंदोलन के दौरान राम के योद्धा रूप का ही ज्यादा प्रचार हुआ वहीं प्रियंका ने राम के करुणामय रूप को भारतीय मानस में अमिट बताते हुए शबरी के राम, सुग्रीव के राम, वाल्मीकि और भास के राम का जिक्र किया है.
उन्होंने लिखा है कि राम सिर्फ उत्तर के ही नहीं बल्कि दक्षिण में कंबन और एषुत्तच्छन के भी राम हैं. राम संप्रदाय और मजहब की दीवारों से ऊपर हैं इसलिए कबीर के भी राम हैं, तुलसीदास और रैदास के भी राम हैं.