किस कारण विस सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं गहलोत ?
नेशन अलर्ट / 97706 56789
जयपुर.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार का बहुमत साबित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को कांग्रेसी विधायकों के साथ राजभवन पहुंचें. कांग्रेस का दावा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है.
गहलोत ने राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. गहलोत का कहना है कि वो फ्लोर टेस्ट से बहुमत साबित करना चाहते हैं.
वहीं राजभवन का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए वह अभी इस पर कोई फैसला नहीं कर सकते हैं.
यह है वजह
आखिर ऐसी क्या वजह है जो राज्य के मुखिया अशोक गहलोत खुद ही फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं?
अमूमन यह देखने में आता है ऐसी मांगे विपक्ष द्वारा की जाती है लेकिन यहां बीजेपी के किसी भी सीनियर नेता ने खुलकर बहुमत परीक्षण को लेकर कोई बयान नहीं दिया है.
दरअसल, अशोक गहलोत को सरकार को समर्थन देने वाले कुछ विधायकों के टूटने का डर है और वह बहुमत परीक्षण के जरिए अपनी सरकार पर आए इस संकट टालना चाहते हैं.
अगर गहलोत सरकार ने बहुमत साबित कर दिया तो उनकी सरकार पर आया संकट छह महीने के लिए टल जाएगा.
वहीं दूसरी और गहलोत इस वक्त सचिन पायलट को पार्टी से भी दूर करना चाहते हैं. सचिन पायलट को मंत्रिमंडल और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद अब उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकालना चाहते हैं.
अगर विधानसभा सत्र बुलाया जाता है तो पार्टी विधायकों को व्हीप जारी करेगी. अगर पायलट और उनके गुट के विधायक शामिल नहीं हुए तो उन्हें पार्टी से निकाला आसान होगा.
व्हीप जारी करने के बाद भी पायलट और उनके गुट के विधायक बैठक में शामिल होते हैं तो उनके राजस्थान पहुंचने पर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ऑडियो टेप कांड मामले में पायलट गुट के आरोपी विधायकों से पूछताछ कर सकती है.
अगर ऐसा होता है तो पायलट गुट की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इतना ही नहीं राजस्थान पुलिस ने गहलोत सरकार को गिराने की साजिश मामले में पायलट को जो भेज समन भेजा था उस मामले में भी पूछताछ कर सकती है.
गहलोत को डर है कि कही राजस्थान हाईकोर्ट की तरह सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पीकर के नोटिस को गलत ठहराते हुए पायलट गुट के विधायकों की योग्यता बरकरार रखी तो भी राज्य सरकार पर संकट रहेगा.
हम पूरी तरह से एकजुट और हमें कोई चिंता नहीं: गहलोत
गहलोत ने कहा कि हम पूरी तरह एकजुट हैं और हमें कोई चिंता नहीं है. जबकि बहुमत साबित करने वाले को हमेशा चिंता रहती है. हम बहुमत को लेकर परेशान नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भी हमेशा यह कहता रहा है कि विधानसभा में बहुमत साबित किया जाए. न्यायिक क्षेत्र में भी ऐसी चर्चाएं होने लगी थी कि विधानसभा सत्र बुलाया जाये, जिसके लिए हम तैयार हैं.
गहलोत ने कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि राज्यपाल किसी दबाव के तहत फैसला नहीं कर पा रहे हैं. वह संवैधानिक पद पर हैं.
उन्होंने संविधान की शपथ ली है. उन्हें अपनी अंतरात्मा के आधार पर निर्णय करना चाहिए. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं और राज्य की जनता राजभवन को घेरने आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी.