रक्षाबंधन पर राखी के बहाने याद दिलाया राजधर्म
• शराबबंदी पर राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा
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दुर्ग.
प्रदेश की राजनीति में एक मर्तबा फिर शराबबंदी मुद्दा बनते जा रही है. शराब को लेकर जो जंग पहले भाजपा-कांग्रेस में हुआ करती थी वही जंग अब कांग्रेस-भाजपा में बदल गई है क्यूं कि पक्ष-विपक्ष आपस में तब्दील हो गए हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर अब राजधर्म याद दिलाया जाने लगा है.
ज्ञात हो कि भाजपा के सत्ता में रहने के दिनों में तब के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शराब को लेकर अपने तेवर कडे़ किए थे.
उस समय सरकार द्वारा शराब बेचे जाने पर तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी भाजपा और उसकी प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया था.
विधानसभा चुनाव का मुद्दा बना शराबबंदी
इसी दौरान हुए विधानसभा चुनाव में शराबबंदी को कांग्रेस ने अपना प्रमुख मुद्दा बनाया था. राज्य की महिलाओं को आकर्षित करने उनसे शराबबंदी का वायदा किया गया.
तब के राष्ट्रीय व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने तकरीबन अपनी हर चुनावी सभाओं में शराब से होने वाले नुकसान को गिनाते हुए सरकार में आने पर प्रदेश को शराब से छूट दिलाने का वायदा किया था, आश्वासन दिया था.
. . . लेकिन यहां पर गलती हो गई. प्रदेश में कांग्रेस तो शराबबंदी के वायदे कर सत्ता में आ गई लेकिन शराब न केवल अभी भी चालू है बल्कि सरकार ही उसे बेच रही है.
जिस भाजपा की कांग्रेस ने यह कहते हुए निंदा की थी कि सरकार का काम दारू उपलब्ध कराना नहीं बल्कि दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करना है वही ऐसा कर रही है.
ऐसे में विपक्ष में बैठी भाजपा और उसके नेता कांग्रेस और उसकी राज्य सरकार पर आंखें तरेरने लगे हैं.
पहले डा. रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर जैसे प्रांतीय नेताओं ने इस विषय पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की थी.
अब उसकी राष्ट्रीय महासचिव व भविष्य की मुख्यमंत्री मानी जाने वाली डा. सरोज पांडेय ने शराबबंदी पर कांग्रेस सरकार और उसके मुखिया पर जोरदार प्रहार किया है.
याद आया अटल-मोदी, माया-टंडन का किस्सा
भाजपा की राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे ने एक पत्र लिखकर अटलबिहारी बाजपेयी और नरेंद्र मोदी से लेकर मायावती व अभी हाल में दिवंगत हुए लालजी टंडन के किस्से को आम जनमानस के स्मृति पटल पर पुन: उकेर दिया है.
बाजपेयी व मोदी के बीच हुए राजधर्म संवाद हो या फिर रक्षाबंधन के समय लालजी टंडन व बहन मायावती के बीच का व्यवहार . . . दोनों सरोज पांडेय द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे गए एक पत्र से बरबस ही याद आ गए हैं.
उल्लेखनीय है कि इस बार भी रक्षाबंधन के पर्व का सबसे बेहतरीन उपयोग उन सरोज द्वारा किया गया है जिन्हें प्रदेश के छोटे-बडे़ नेता-कार्यकता दीदी के नाम से ज्यादातर संबोधित करते हैं.
दरअसल, भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रक्षा सूत्र (राखी) भेजे हैं. साथ में एक पत्र भी भेजा है जिस पर बुधवार देरशाम से बहुत सी खबरें आते रही हैं.
सीएम भूपेश को लिखे पत्र में सरोज पांडेय ने प्रदेश में शराबबंदी की मांग की है. उन्होंने भूपेश से अनुरोध किया है कि इस रक्षाबंधन पर पूर्ण शराबबंदी का अपना वादा मुख्यमंत्री रहते हुए पूरा करेंगे.
उन्होंने लिखा है कि “आपकी यह बहन आपको याद दिलाती है, कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को राजधर्म निभाते हुए जनता से किए वादे को पूरा करना है.”
सरोज पांडेय ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि “इस रक्षाबंधन पर छत्तीसगढ़ की बहनों को उपहार स्वरूप वे पूर्ण शराबबंदी की सौगात देंगे. रक्षासूत्र के साथ तिलक के लिए रोली और अक्षत भेज रही हूं जो आपको आपका राजधर्म याद दिलाता रहेगा, ऐसा मेरा विश्वास है”.
छत्तीसगढ़ प्रदेश की संस्कृति में बहनों का विशेष महत्व है. तीजा-पोरा, राखी यह बहनों के त्योहार हैं. अपने भाइयों के लिए छत्तीसगढ़ की हर महिला साल भर तीजा और रक्षाबंधन का इंतजार करती है. भाई भी उसे कुछ ना कुछ उपहार देते हैं.
इसे सरोज पांडेय ने बेहतर तरीके से मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में उपयोग में लाया है. वह लिखती हैं कि आज कोरोना महामारी से पूरा देश ग्रसित है. हमारा छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है.
40 दिनों के लॉकडाउन में बहनों पर होने वाली घरेलू हिंसाओं में कमी आई थी, लेकिन लॉकडाउन समाप्त होने के बाद, शराब दुकानों के फिर से शुरू होने के साथ ही महिलाओं से अत्याचार फिर शुरू हो गया.
उन्होंने लिखा है कि एक बच्चा जब नशे में डूबे अपने पिता को अपनी मां को पीटते हुए देखता है, तो उस बच्चे के मन की पीड़ा आप समझ सकते होंगे.
सरोज ने सीएम बघेल को लिखा है कि अपने पति से रोज पिटती, उस बहन का दर्द भी असहनीय होता है. प्रदेश के मुखिया होने के नाते बहनों की इस पीड़ा को दूर करने की विनती करते हुए प्रदेश की लाखों बहनों के साथ, अपने उपहार का इंतजार कर रही हूं लिखते हुए पत्र समाप्त कर सरोज पांडेय ने गेंद सीएम के पाले में डाल दी है.