नान घोटाले के आरोपी रिटायर्ड आईएएस शुक्ला को हाईकोर्ट ने दिया झटका
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बिलासपुर.
नागरिक आपूर्ति निगम ( नान ) में हुए कथित घोटाले में शामिल बताए जा रहे रिटायर्ड आईएएस डा. आलोक शुक्ला को आज हाईकोर्ट बिलासपुर से निराश होना पडा़. दरअसल, उन्होंने केस की सुनवाई को लेकर जो अंतरिम राहत के लिए याचिका दायर की थी वह खारिज कर दी गई.
उल्लेखनीय है कि मामले में डा. शुक्ला के अलावा एक अन्य आईएएस अनिल टुटेजा सहित छोटे-बडे़ अधिकारी-कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया था.
मामला प्रदेश की तत्कालीन रमन सरकार के समय का है. प्रदेश में अब जबकि कांग्रेस की सरकार है तो प्रवर्तन निदेशालय यानिकि ईडी मनी लांड्रिंग केस में पृथक से कार्रवाई कर रही है.
चूंकि ईडी ने पूछताछ के लिए शुक्ला को दिल्ली स्थिति अपने मुख्यालय तलब किया था इस कारण वह याचिका लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंचे थे.
रायपुर स्थानांतरण की मांग की थी
याचिकाकर्ता डॉ आलोक शुक्ला ने अदालत से कहा था कि ईडी का दफ्तर रायपुर में है लेकिन कोविड-19 के संक्रमण के बावजूद उन्हें पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया जा रहा है.
यह उन्हें परेशान करने के लिए किया जा रहा है. याचिकाकर्ता के वकीलों ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आलोक शुक्ला से दिल्ली में होने वाली पूछताछ को रायपुर स्थानांतरित करने की मांग की थी.
इसके लिए उन्होंने कई तर्क भी पेश किए लेकिन कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए अदालत ने डॉ आलोक शुक्ला को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया.
कानून के जानकार बता रहे है कि कोई भी केंद्रीय जांच एजेंसी मसलन सीबीआई, सीबीडीटी, इंकम टैक्स अथवा ईडी को अपनी सुविधा अनुसार आरोपी पूछताछ के स्थान तय करने या मामला स्थानांतरित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. कानून उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता.
इससे साफ़ है कि आयकर के छापे हो या फिर ईडी की दबिश के दिल्ली से संचालित मामले, आरोपियों को वहां अपनी मौजूदगी दर्ज करानी होगी.
36 हजार करोड़ का घोटाला
राज्य में 36 हजार करोड़ का कथित नान घोटाला हुआ था. यह घोटाला पूर्ववर्ती रमन सरकार के कार्यकाल में उजागर हुआ था.
सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा और तत्कालीन खाद्य सचिव आलोक शुक्ला में आरोपी बनाए गए थे.
दोनों ही अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने और चालान पेश करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी थी. इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने भी अधिकारियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था.
नान घोटाले में करोड़ों रूपए के काले धन के सबूत मिलने का दावा करते हुए ईडी ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लाॅड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था.
डाॅ.आलोक शुक्ला ने ईडी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के साथ-साथ प्रिवेंशन आफ मनी लाॅड्रिंग एक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी. डिवीजन बेंच ने इसे सुनवाई योग्य माना था.
इस याचिका को स्वीकार कर ईडी को नोटिस भी जारी किया गया था. जिसका फैसला आज हाईकोर्ट बिलासपुर ने सुना दिया है. यह फैसला शुक्ला के साथ ही टुटेजा के लिए भी बडा़ झटका है क्यूं कि दोनों ही अधिकारी अपने खिलाफ दर्ज मामलों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं.
बहरहाल, अब जब कभी ईडी मामले में तलब करेगा तो आलोक शुक्ला को दिल्ली जाकर उपस्थिति दर्ज करानी होगी. बताया तो यह तक जाता है कि इसी केस में अनिल टुटेजा दिल्ली स्थित ईडी के दफ्तर उपस्थित होकर आए हैं.