नक्सल से लेकर मैदानी इलाकों में नांदगांव पुलिस ने सुधारा प्रदर्शन
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राजनांदगांव.
संस्कारधानी राजनांदगांव की पुलिस का प्रदर्शन धीरे धीरे सुधरने लगा है. वह चाहे नक्सली इलाका हो या फिर मैदानी क्षेत्र . . .राजनांदगांव पुलिस हर तरफ सफलता अर्जित कर रही है.
दरअसल, कप्तान का असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ रहा है. पुलिस कप्तान जितेंद्र शुक्ला के कार्यभार संभालने के बाद टीम की “बल्लेबाजी- गेंदबाजी में सुधार तो हुआ ही है बल्कि उसकी क्षेत्ररक्षण क्षमता” भी पहले से ज्यादा बेहतर हो गई है.
सोशल मीडिया में भी सक्रिय हुई
राजनांदगांव पुलिस ने सोशल मीडिया में भी अपनी उपस्थित बढा़ई है. अब आए दिन संदेश सोशल मीडिया में नजर आने लगे हैं.
एसपी जितेंद्र शुक्ला ने लाकडाउन के शुरुआती समय में ( 25 मार्च ) राजनांदगांव में कप्तानी संभाली थी. तब उनका पहला प्रहार शराब तस्करी पर हुआ था. शराब तस्करों के एक बडे़ चैनल को उनकी टीम ने अप्रैल में धरदबोचा.
अब तक कम्युनिटी पुलिसिंग की बात सुनाई देती रही थी लेकिन समाज के लिए शायद ही कुछ करती रही हो. वह तो कप्तान की रुचि थी कि उन्होंने गुमशुदा व्यक्तियों को तलाशने का बीडा़ उठाया.
कहते हैं कि सारी कायनात उन सपनों को पूरा करने उतर आती है जिनके लिए व्यक्ति ने ईमानदारी से मेहनत की हो.
एसपी शुक्ला व उनकी टीम द्वारा गुमशुदा व्यक्तियों की तलाश में की गई ईमानदार मेहनत का सुखद परिणाम भी आया.
राजनांदगांव पुलिस ने एक माह के भीतर ही 130 गुमशुदा लोगों को ढूंढ निकाला. मई – जून माह में चलाए गए अभियान में इन व्यक्तियों के वापस आने से उनके परिजनों के चेहरे भी मुस्करा उठे.
नक्सली मामले में जबर्दस्त सफलता
एसपी जितेंद्र की पकड़ के चलते उनकी टीम को नक्सल मामलों में भी जबर्दस्त सफलता मिली. जबर्दस्त शब्द का उपयोग सोच समझकर किया गया है.
याद करिए झीरम घाटी के उस नक्सली हमले को जिसमें कांग्रेस ने अपनी एक पूरी पीढी़ को देश के लिए कुर्बान कर दिया था. पूर्व विधायक उदय मुदलियार, कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, दिग्गज कांग्रेसी विद्याचरण शुक्ल के अलावा बस्तर टाईगर महेंद्र कर्मा शहीद हुए थे.
कर्मा के अंगरक्षक ने भी अपनी जान के साथ अपनी एके 47 रायफल नक्सलियों के हाथ गंवाई थी. इस रायफल का उपयोग करने वाले नक्सली राजनांदगांव जिले में आठ मई को मारे गए थे.
एसपी शुक्ला की तत्परता के चलते इस एके 47 रायफल की सच्चाई राजनांदगांव सहित प्रदेश की जनता को पता चली.
बिना किसी शोरशराबा के अपने काम को अंजाम देने लगे रहने वाले पुलिस अधीक्षक शुक्ला के मार्गदर्शन में पुलिस को बाघनदी-छुरिया क्षेत्र में भी बडी़ सफलता मिली है.
इस मर्तबा उसने एके 47 रायफल के साथ महाराष्ट्र – मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ ( एमएमजी ) जोन के प्लाटून वन के कमांडर डेविड उर्फ उमेश को एक मुठभेड़ के बाद जिंदा पकड़ने में सफलता अर्जित की है.
आठ लाख के ईनामी बताए जा रहे उमेश ने यदि पूछताछ के बाद अपना मुंह खोला तो आने वाले दिनों में पुलिस को नक्सलियों से जुडे़ कई और राज पता चल सकते हैं. बशर्ते कि पुलिस उससे पूछताछ में अपना अतिउत्साह अथवा हड़बड़ी न दिखाए.
बहरहाल, इतने कम समय में राजनांदगांव पुलिस को यह सारी सफलता उस कोरोना महामारी के दौरान मिली है जिसके चलते लाकडाउन का पालन करने और कराने की जिम्मेदारी पुलिस को निभानी पड़ रही है.
पुनश्च : राजनांदगांव शहर को तीसरी आंख ( सीसीटीवी कैमरा ) की निगरानी में लाने के काम में भी पुलिस टीम काम कर रही है.