94 बैच के असरदार सरताज बनें जीपी !
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रायपुर .
पहले निपटे आईपीएस एसआरपी कल्लूरी . . . फिर सविता खंडेलवाल आत्महत्या कांड में पूर्व से विवादित हिमांशु गुप्ता . . . दोनों 1994 बैच के अफसर . . . लेकिन इसी बैच के एक और अफसर जीपी सिंह अपनी ही शैली में धुआंधार बल्लेबाजी कर रहे हैं.
अमूमन देखने में यह आता है कि एक ही बैच के लोगों में बहुत अच्छी मित्रता होती है या फिर बहुत ही ज्यादा कटुता उनमें होती है.
मतलब एक तरह से सामान्य संबंध नहीं रह पाते हैं. ऐसा ही कुछ यहां पर एसआरपी , हिमांशु और जीपी को लेकर देखने को मिलते रहा है.
तीनों पुलिस अधिकारी 1994 बैच के हैं. तीनों के ही साथ कुछ प्लस है तो कुछ माइनस. लेकिन कल्लूरी व गुप्ता की तुलना में जीपी सिंह विवादों से तकरीबन बचे रहें हैं.
बलरामपुर पुलिस अधीक्षक से लेकर बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक रहने के दिनों में जहांं एक और नक्सलवाद पर नियंत्रण के लिए कल्लूरी याद किए जाते हैं वहीं दूसरी ओर मानवाधिकार उल्लंघन के अनगिनत आरोप उन पर लगे हैं.
महिला की जासूसी और हिमांशु गुप्ता
छत्तीसगढ़ पुलिस के छोटे बडे अधिकारी कर्मचारी दबी जुबान से ही सहीं लेकिन हिमांशु गुप्ता को चारित्रिक रुप से विवादित ही मानते हैं.
बताया तो यह तक जाता है कि उन्होंने महिला की जासूसी करवाई थी. तब हिमांशु गुप्ता अंबिकापुर रेंज आईजी हुआ करते थे.
दरअसल, हिमांशु जब धमतरी के पुलिस अधीक्षक थे तब कथित तौर पर उनकी नजदीकियां सविता खंडेलवाल नामक एक महिला से कुछ ज्यादा ही चर्चा बटोरती थी.
इसी तरह के विवादों के बीच सविता का अपने पति अखिलेश खंडेलवाल से तलाक भी हो गया था. सविता पीछे करते हुए अंबिकापुर तक पहुंची थी.
उस समय सविता कहां पर रुकी है, किससे बात करती है जैसे तथ्यों को जानने हिमांशु ने उसका पीछा करवाया था ऐसा आरोप सविता खुद लगाते रही थी.
सविता खंडेलवाल ने तब के आईजी हिमांशु गुप्ता के साथ अपने कथित संबंधों को लेकर खुलासा करने – कराने को लेकर महिला आयोग के सामने धरना भी दिया था.
बाद में इन्हीं सब विवादों के बीच सविता खंडेलवाल ने अपने धमतरी के अमलतासपुरम स्थित अपने उस मकान में आत्महत्या कर ली जोकि अंततः नीलाम हो गया.
अब आते हैं सीनियर आईपीएस जीपी सिंह के संदर्भ में . . . बेहद कर्त्तव्यनिष्ठ . . . ईमानदार . . . जांबाज अधिकारी के रुप में जीपी सिंह भाजपा से लेकर कांग्रेस सरकार तक की आंखों के नूर बने हुए हैं.
वैसे भी जीपी और विवादों का दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. हां एक मर्तबा बिलासपुर आईजी रहने के दिनों में तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा आत्महत्या प्रकरण में जीपी विवादित जरुर हुए थे लेकिन इससे वह पाकसाफ निकलने में सफल रहे.
उसके पहले अथवा उसके बाद जीपी सिंह ने बेदाग नौकरी की है. नारियल की तरह के स्वभाव वाले जीपी अभी भी अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं.
पहले एसआरपी कल्लूरी . . . बाद में हिमांशु गुप्ता को जिस तरह बिना किसी प्रभार के पुलिस मुख्यालय बुलवा लिया गया वह गौर करने लायक है.
गौरतलब यह भी है कि कल्लूरी – गुप्ता के साथी पुलिस अधिकारी जीपी सिंह अपनी विशिष्ट शैली में बल्लेबाजी करने पिच पर अभी भी डटे हुए हैं.
शायद वह ऐसी ही बल्लेबाजी करते रहे कि लोग बरबस ही बोल उठें कि
94 बैच के असरदार सरताज बनें जीपी !