राजधानी बनने के बाद ही जिला बना था भोपाल

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भोपाल.

1 नवंबर 1956 को राज्य के रूप में अस्तित्व में आया मध्यप्रदेश आज अपनी स्थापना दिवस मना रहा है. तब मध्यप्रदेश में 43 जिले हुआ करते थे जो कि आज बढ़कर 51 हो गए हैं. उस समय राजधानी बनने पर ही भोपाल को जिला घोषित किया गया था.

तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया था. डॉ. शंकर दयाल शर्मा, पं. जवाहरलाल नेहरू सहित भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान को श्रेय जाता है कि उन्होंने प्रदेश की राजधानी के लिए भोपाल को चुना था.

तब राजधानी के तौर पर इंदौर व ग्वालियर का नाम लिया जाता था. इसके अलावा जबलपुर का भी दावा बना हुआ था. उस वक्त के भोपाल राज्य के नवाब दरअसल भारत से संबंध नहीं रखना चाहते थे.

वह हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत में विलय का विरोध कर रहे थे. उस समय देश के हृदय स्थल में भारत विरोधी गतिविधियों को तवज्जो न मिले यह सोचकर इसे मध्यप्रदेश की राजधानी चुना गया था.

भोपाल को राजधानी बनाने में पं. शर्मा, पं. नेहरू, नवाब खान सहित सरदार वल्लभभाई पटेल का भी नाम प्रमुखता से लिया जाता है. 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया था.

तब डॉ. पट्टाभि सीतारमय्या मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल हुआ करते थे. प्रथम मुख्यमंत्री का दायित्व पं. रविशंकर शुक्ल ने निभाया था. पं. कुंजीलाल दुबे मध्यप्रदेश के पहले अध्यक्ष बनाए गए थे.

इसके पहले मध्य भारत प्रांत का गठन 28 मई 1948 को किया गया था. तब इसमें ग्वालियर और मालवा क्षेत्र शामिल थे. मध्य भारत प्रांत के पहले राजप्रमुख महाराजा जीवाजीराव सिंधिया हुआ करते थे.

जीवाजीराव सिंधिया दरअसल ग्वालियर राजघराने के राजा हुआ करते थे. तब सर्दियों की राजधानी ग्वालियर ही हुआ करती थी. जबकि ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा इंदौर को प्राप्त था. मतलब मध्य भारत प्रांत की दो राजधानी ग्वालियर-इंदौर हुआ करती थी.

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