नान घोटाला : चाउंर वाले बाबा के मुनीम भी फंसे

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रायपुर.

कभी छत्तीसगढ़ में चाऊंर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए डा. रमन सिंह इन दिनों मुश्किल दिनों का सामना कर रहे हैं. पहले अंबागढ़ टेपकांड़ को लेकर मंतूराम पवार ने अन्य लोगों के साथ डा. रमन को घेरा था और अब नागरिक आपूर्ति निगम यानिकि नान का घोटाला उनके पीछे पड़ गया है. इस बार आरोप उस शिवशंकर भट्ट के हैं जोकि नान घोटाले में खुद इक आरोपी हैं.

नान घोटाले के आरोपी शिवशंकर ने आज में शपथ पत्र देकर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहिले सहित उस लीलाराम भोजवानी पर आरोप लगाए हैं जोकि चाऊंर वाले बाबा यानिकि रमन सिंह का कामकाज देखा करते हैं.

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भोजवानी राजनांदगांव से विधायक भी रह चुके है. पूर्व में वह नान के अध्यक्ष का दायित्व संभाला करते थे. इन दिनों वह पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के विधायक प्रतिनिधि है.

भोजवानी अब बुजुर्ग हो चुके हैं. ऐसी उम्र में यदि उन पर कोई बडी़ कार्रवाई हुई तो वह शायद ही झेल पाए. यहां यह भी बताना लाजिमी होगा कि जब भोजवानी नान अध्यक्ष हुआ करते थे तब उनके परिजनों के नाम से गरीबी रेखा के कार्ड हुआ करते थे.

वह भी तब जब भोजवानी का पूरा परिवार ही आयकरदाता परिवार है. फर्जी राशन कार्ड के मामले में भोजवानी के परिजनों का भी नाम शामिल था. चूंकि उस समय भाजपा की सरकार थी, नगर विधायक डा. सिंह मुख्यमंत्री थे इस कारण भोजवानी बच निकले थे लेकिन आज भट्ट ने उनका नाम लेकर परेशानी खडी़ कर दी है.

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बहरहाल, भट्ट ने उक्त नेताओं सहित अधिकारियों पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. भट्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री का नाम लेते हुए कहा कि तीन हजार करोड़ के इस घोटाले में सबसे बड़े षडयंत्रकारी रमन सिंह थे.

नान घोटाला प्रकरण के प्रमुख अभियुक्त और इस प्रकरण में सर्वाधिक समय तक जेल में रहने वाले शिवशंकर भट्ट का शपथ पत्र वायरल हो रहा है. 12 सितंबर को बिलासपुर में सुनीता ठाकुर नोटरी द्वारा सत्यापित यह शपथ पत्र नान घोटाले को लेकर नए दावे करता है.

इस शपथ पत्र में शिवशंकर भट्ट ने यह लिखा है कि, 2014 में नान के पास 9 लाख मिट्रिक टन धान था. बावजूद इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विभागीय अधिकारियों पर दबाव देकर दस लाख मिट्रिक टन चावल का अतिरिक्त उपार्जन का आदेश दिया.

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डॉ रमन सिंह ने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के हैसियत से 236 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति गारंटी जारी कर दी, जो कि विधि विरुद्ध है. शपथ पत्र में दावा है कि डॉ रमन सिंह ने कहा कि इसमें आपत्ति करने की जरुरत नहीं हैं.

दावे के मुताबिक उन्होंने कहा था ” हमें और पार्टी को लंबी चौड़ी रक़म मिलनी हैं और यदि आप लोग चाहेंगे तो आप लोगों को भी लंबी चौड़ी रक़म मिलेगी “.

यही बात तत्कालीन खाद्य मंत्री मोहले के हवाले से भी लिखी गई है. शपथ पत्र यह दावा भी करता है कि 21 लाख फर्जी राशन कार्ड बनाए गए. विधानसभा में घोषणा के बावजूद कार्ड जारी रखे गए. इससे तीन हजार करोड़ सालाना की चपत लगी.

शपथ में लिखा गया है कि दस हजार करोड़ की सब्सिडी जारी कर दी गई जिसका ऑडिट ही नही हुआ. मोहले को लीलाराम भोजवानी ने भेजा. तब पाँच करोड़ रुपए चंदा दिया गया. उस समय सच्चिदानंद उपासने और धरमलाल कौशिक वहाँ मौजूद थे. अक्टूबर 2013 में मोहले को एक करोड़ दिए गए.

पत्नी का भी उल्लेख

शपथ पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री की पत्नी वीणा सिंह का जिक्र करता है. जिसमें यह लिखा गया है कि कौशलेंद्र सिंह के ज़रिए तीन करोड़ दिए गए.
यह दावा भी है कि कौशलेंद्र के ज़रिए ही पाँच लाख श्रीमती सिंह को दिए गए. शपथ पत्र के अंत में शिवशंकर भट्ट ने उनके पास से दिखाई गई जप्ती और कार्यवाही को गलत और फर्जी बताया है.

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