फिरोज के दिल्ली जाने को लेकर क्यूं उत्सुकता दिखाई?
नेशन अलर्ट. 97706-56789
रायपुर.
अंतागढ़ टेपकांड उजागर करने के बाद फिरोज सिद्दीकी अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कहकर एक नए तरह के विवाद में फंस गए हैं. यह विवाद ब्लैकमेलिंग व फिरौती से जुड़ा हुआ है. लेकिन आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि फिरोज सिद्दीकी के दिल्ली जाने को लेकर क्यूंकर उत्सुकता दिखाई जा रही है?
नेशन अलर्ट को फिरोज सिद्दीकी की ओर से भेजे गए कुछ विडियो मिले हैं. साथ ही साथ इसके पहले फिरोज सिद्दीकी द्वारा वह कथन भी मिला है जो कि उन्होंने कल सुबह 7.02 मिनट पर भेजा था. इसी कथन और विडियो में फिरोज क्या कुछ लिखना चाह रहे हैं या कहना चाह रहे हैं यह आपको बताते हैं.
रात एक बजे आई थी पुलिस टीम
फिरोज सिद्दीकी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रात के एक बजे सिविल लाईन पेट्रोलिंग पार्टी उसके घर पहुंची थी.
टीआई मोहसिन अली इसका नेतृत्व कर रहे थे. एक महिला पुलिस अधिकारी सहित दस जवानों ने फिरोज के लिखे अनुसार उसके घर के दरवाजे को खटखटाया. नोटिस या वारंट पूछने पर उन्होंने मौखिक आदेश पर आए हैं कहा.
फिरोज लिखते हैं कि आधी रात को दरवाजा खोलने से उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने अपने शुभचिंतकों, वकील को जानकारी दी. वकील द्वारा पूछे जाने पर ऊपर से ऑर्डर है, पुलिसकर्मी यही कहते रहे.
फिरोज बताते हैं कि पुलिस की उत्सुकता इस बात को लेकर थी कि वह मंगलवार सुबह दिल्ली जा रहे हैं या नहीं? फिरोज ने आगे लिखा है कि सड़क दुर्घटना अथवा अन्य साजिश के तहत उन्हें मारने की रणनीति तैयार की जा रही है.
इस मामले में वह आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के भी शामिल होने की आशंका जाहिर करते रहे हैं. अंतागढ़ टेपकांड की जांच से स्वयं को असंतुष्ट बताने वाले फिरोज कहते हैं कि पुलिस कहीं न कहीं आरोपियों को बचा रही है.
फिरोज द्वारा लगाए गए आरोप सही है अथवा गलत यह तो जांच का विषय है लेकिन फिरोज का यह कहना गौरतलब है कि वह कौन सी आफत थी कि आरोपियों से पूछने की बजाए उनके घर पर दबिश दी गई. एक तरह से फिरोज को उनके अपने ही घर में नजरबंद कर लिया गया ऐसा उन्होंने लिखा है.
अपनी आशंका को यकीन में तब्दील होते हुए लिखकर फिरोज बताते हैं कि अंतागढ़ टेपकांड में आरोपी के अलावा परदे के पीछे छिपे ऐसे चेहरे हैं जिनको डर है कि कभी भी वे बेनकाब हो सकते हैं.
उन्होंने हत्या की आशंका जताते हुए लिखा है कि वह डरने वालों में से नहीं हैं. जब तक शरीर में जान है तब तक भारतीय कानून के तहत मिले अधिकार के साथ लड़ूंगा लिखते हुए फिरोज ने लिखा है कि कब तक पुलिस उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने से रोक सकेगी.