सरप्लस बिजली वाला राज्य डूबेगा अंधेरे में !
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रायपुर.
1100 मेगावाट बिजली की कमी छत्तीसगढ़ में हो सकती है. दरअसल 210 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली कोरबा पश्चिम की 3 नंबर यूनिट से उत्पादन नहीं हो पा रहा है. प्लांट का जनरेटर व ट्रांसफार्मर खराब बताया गया है.
राज्य की बिजली वितरण कंपनी का मानना है कि बिजली की कमी के दो प्रमुख कारण सामने आए हैं. कोरबा प्लांट के अलावा एनटीपीसी के लारा संयंत्र से अब तक उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है.
बताया जाता है कि लारा संयंत्र से 1600 मेगावाट बिजली उत्पादित हो सकती है. इसके जुलाई के अंत तक शुरू हो पाने की उम्मीद जताई जा रही है.
4000 मेगावाट तक पहुंची मांग
प्रदेश में 4000 मेगावाट तक बिजली की मांग पहुंच चुकी है. जबकि 1 से 15 जून तक राज्य में बिजली की उपलब्धता 3185 से 3378 मेगावाट रही थी.
15 से 30 जून तक यह 2922 से 3122 मेगावाट रहेगी. जुलाई में इसके 2760 से 2960 मेगावाट रहने की उम्मीद है. देखा जाए तो जुलाई में 200 से 1100 मेगावाट बिजली की कमी हो सकती है.
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में बेतहाशा बिजली की खपत बढ़ रही है. मई में बिजली की औसत मांग 4056 मेगावाट रही थी जो कि मई 2018 की तुलना में 21 फिसदी अधिक बताई गई है.
2080 मेगावाट स्थापित क्षमता से 1550 मेगावाट बिजली मिलने की उम्मीद राज्य की बिजली उत्पादन कंपनी को है. 138 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले हाइडल संयंत्र भी राज्य में मौजूद हैं लेकिन इनसे फिलहाल किसी तरह की उम्मीद नहीं है.
केंद्रीय सेक्टर से 1321 मेगावाट में से केवल 1100 मेगावाट बिजली मिलेगी. स्वतंत्र बिजली उत्पादक (आईपीसी) से 278 की तुलना में 180 मेगावाट बिजली मिलेगी. 178 मेगावाट वाले बायोमास संयंत्र में से केवल 75 मेगावाट बिजली मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
मतलब साफ है कि सरप्लस बिजली वाले छत्तीसगढ़ में बिजली संकट गहराते जा रहा है. राज्य में 1100 मेगावाट बिजली की कमी जुलाई में होने का अनुमान लगाया गया है.
सरकारी बिजली वितरण कंपनी ने निजी उत्पादकों से बिजली खरीदने के लिए छोटी अवधि का क्रय अनुबंध करने की तैयारी कर रखी है. 3.89 रूपए से लेकर 4.92 यूनिट पर बिजली खरीदने राज्य विद्युत नियामक आयोग से अनुमति मांगी गई है.