योगी की पुलिस. . . भूपेश की पुलिस. . . एक जैसी !

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रायपुर.

पुलिस चाहे उत्तरप्रदेश की हो या फिर छत्तीसगढ़ की, उसका काम कुछ ऐसा रहता है कि विवाद खड़े हो जाते हैं.

इस बार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल को लेकर की गई कार्यवाही से मामला गंभीर हो गया है.

वो तो भला हो भूपेश दाऊ का, कि उन्होंने तत्काल राजद्रोह की धारा हटाने के निर्देश प्रदेश के डीजीपी को दिए.

उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में उत्तरप्रदेश की हजरतगंज थाना की पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत जगदीश कन्नौजिया को गिरफ्तार किया था.

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस को प्रशांत जगदीश कन्नौजिया को रिहा करना पड़ा.

तब पता चला कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से एसएसपी कलानिधि नेधानी को कन्नौजिया सहित दो अन्य पत्रकारों पर एफआईआर करने के निर्देश हुए थे.

बच गए मांगीलाल

इधर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर डोंगरगढ़ निवासी मांगीलाल अग्रवाल पर राजद्रोह की धारा हटा दी गई है. मुख्यमंत्री ने स्वयं डीजीपी डीएम अवस्थी को निर्देश दिए थे.

दरअसल मांगीलाल का अपराध यह था कि उसने राज्य में हो रही बिजली कटौती के विरोध में सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल कर दिया था. तब पुलिस तत्काल हरकत में आई और राजद्रोह की धारा लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया था.

यह कार्यवाही बिजली कंपनी के विधि सलाहकार एनकेपी सिंह की प्रार्थना पर की गई थी. तब धारा 124 (ए), 505 (1), (2) के तहत राजनांदगांव पुलिस ने अपराध क्रमांक 331/19 में जुर्म दर्ज कर लिया था.

वो तो भला हो प्रदेश के जनहितैषी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जिन्होंने इसकी जानकारी होते ही डीजीपी को उक्त धारा को लेकर फटकार लगाई. चूंकि डीजीपी को फटकार लगी थी इसलिए आईजी-एसपी तत्काल हरकत में आए.

मुसरा निवासी मांगीलाल (53) पिता स्व. गणेश प्रसाद अग्रवाल को मुख्यमंत्री की पहल पर अब जाकर राहत मिली है. प्रकरण का पुन: परीक्षण कराया जा रहा है.

इधर भाजपा ने भी इस मुद्दे को लपक लिया है. प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर प्रवास ने इसे कांग्रेस पार्टी की तानाशाही निरूपित किया है. यह सरकार की असक्षमता को प्रदर्शित करता है. लोकतंत्र का गला कांग्रेस सरकार में घोटा जा रहा है.

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