क्या पीएमओ ने हार मान ली है?
देश का सर्वाधिक शक्तिसंपन्न कार्यालय होता है पीएमओ… वही पीएमओ जिसे सामान्य बोलचाल में प्रधानमंत्री कार्यालय बोला जाता है.
पीएमओ तक जाने की चाहत देश का हर वह आईएएस करता है जो बड़ी मुश्किल से यूपीएससी परीक्षा क्लियर किया हुआ होता है.
पीएमओ में बैठकर पूरे देश की नौकरशाही को चलाया जा सकता है. एक तरह से पीएमओ देश की नौकरशाही की केंद्र बिंदु हुआ करता है.
उसी पीएमओ से आईएएस अफसर क्यूंकर रवाना होने की तैयारी में हैं इस पर जनचर्चा होने लगी है. क्या देश के पीएमओ ने मान लिया है कि सरकार की चुनावी हार नजदीक है?
क्या पीएमओ में बैठे अफसर अब यह तय कर चुके हैं कि सरकार की वापसी कठिन है? क्या पीएमओ में काबिज अफसरों ने नई सरकार के आने का इंतजार यह सोचकर नहीं किया कि आने वाले दिन कैसे रहेंगे?
बहरहाल पीएमओ से अफसर रवानगी डालने की तैयारी करके बैठे हैं. फिलहाल पीएमओ में 25 ब्यूरोक्रेट्स तैनात हैं.
इन्ही 25 में से 8 ब्यूरोक्रेट्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय छोडऩे की इच्छा जाहिर की है. सबके अपने अपने कारण हैं.
कोई समयपूर्व सेवानिवृत्ति चाहता है तो कोई अपने होमकेडर में जाना चाह रहा है. इस आशय की खबर हिंदी के अखबार व चैनल में नहीं आई.
अंग्रेजी की कुछ वेबसाइट में यह खबर इन दिनों चल रही है. तब से इस बात पर सवाल किया जाने लगा है कि आखिर ब्यूरोक्रेट्स क्यों पीएमओ छोडकर जाना चाहते हैं?
बगैर नाम लिए कुछ के संदर्भ में कहा गया कि वह रूखे व्यवहार से परेशान हैं. किसी ने छद्म राष्ट्रवाद को लेकर अपनी परेशानी गिनाई.
तो कोई सुप्रीम कमांडर की दखलअंदाजी से रूष्ट है. मतलब साफ है कि पीएमओ में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
संभवत: इसी के चलते पीएमओ छोड़कर अफसर जाने को लालायित हैं. जिन ब्यूरोक्रेट्स ने पीएमओ छोडऩे की अनुमति मांगी है वह ब्यूरोक्रेट्स एक खास विचारधारा की मानसिकता से परेशान हैं.
तो क्या यह माना जाए कि जिस पीएमओ में अलग अलग राज्य के अलग अलग सोच वाले आईएएस होते हैं वहां एक खास विचारधारा लादी जा रही है?
यक्ष प्रश्र –
उस आईपीएस का नाम बताइए जिसने सरकार बदलने के पूर्व भाजपा नेता से मुलाकात की थी और कांग्रेस की सरकार आने के बाद उसे पद मिला?