संघ ने बदली रणनीति, छग में झोंकी ताकत

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रायपुर.

लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी सुनाई देते ही छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. उसने अब छत्तीसगढ़ में अपने तकरीबन दस हजार कार्यकर्ता उतार दिए हैं. और तो और उड़ीसा संभाल रहे सौदान सिंह को छत्तीसगढ़ भेज दिया गया है.

इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है. दरअसल भाजपा के लिए खोने को बहुत कुछ है जबकि कांग्रेस के पास खोने से ज्यादा पाने की संभावना है. ऊपर से छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे भी भाजपा को सोचने समझने मजबूर करते हैं.

दुर्ग-नांदगांव में भाजपा मजबूत
प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में दुर्ग- राजनांदगांव सीट ही ऐसी है जहां भाजपा दमदार नजर आती है. बाकी अन्य क्षेत्रों में भाजपा की हालत उतनी बेहतर नहीं है.

एक तो प्रदेश में पूरे घर के बदल डालूंगा की तर्ज पर 11 सांसदों के टिकट काट दिए गए. इससे स्वाभाविक है कि सांसदों के मन में थोड़ी न थोड़ी नाराजगी है.

इसी तरह पार्टी का कार्यकर्ता भी पार्टी की कार्यशैली को लेकर संतुष्ट नहीं है. संगठन भी तकरीबन मृतप्राय पड़ा हुआ है. इन्हीं सब की जानकारी जब आरएसएस तक पहुंची तो उसने रणनीति में फेरबदल किया.

अब उसने राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह को वापस छत्तीसगढ़ में लगा दिया है. सौदान छत्तीसगढ़ की तकरीबन एक एक गलियों से वाकिफ हैं. छोटे बड़े कार्यकर्ता से उनका व्यक्तिगत परिचय है.

18 अप्रैल तक उन्हें छत्तीसगढ़ में कैंप करने के निर्देश दिए गए हैं. सौदान ने आते ही पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को बस्तर में प्रचार के लिए भेजा.

राजनांदगांव-दुर्ग शहर में उन्होंने भाजपा की मजबूत स्थिति को देखते हुए भाजपाईयों को ग्रामीण क्षेत्र में जोर लगाने को कहा है.

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