चोरी चले गया ‘सिंदूर’ का पानी !
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रायसेन.
कोटवार से लेकर कलेक्टर तक नदी के पानी को संभाल नहीं पाए और सारा का सारा पानी चोरी चले गया. मामला सिंदूर नदी से जुड़ा हुआ है.
जिले की जीवनदायिनी नदी के रूप में सिंदूर नदी प्रसिद्ध है. गांवों तक अपने नेटवर्क को मजबूत बताने वाली कांग्रेस सरकार के समय नदी के पानी की पहरेदारी भी कोई नहीं कर पाया.
त्राहि त्राहि कर रहे ग्रामीण
नदी के पानी के सूखने से ग्रामीण त्राहि त्राहि कर रहे हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित मेहगवां गांव है. इस नदी के सूख जाने से यहां के लोगों को पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है.
विकराल होती समस्या के निदान के लिए फिलहाल ग्रामीणों ने नदी के बीच एक गड्ढा खोद लिया है. इस गड्ढे में रातभर में जितना पानी एकत्र होता है उसे गांव के लोग छानकर उपयोग में लाते हैं.
जिस दिन गड्ढा भी सूख जाएगा उस दिन ग्रामीण क्या करेंगे? ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के जमींदारों ने पंप लगाकर नदी का पानी खींच लिया है. इसी पानी से उन्होंने अपने खेतों की सिंचाई की और निर्माण कार्य कराए हैं.
मेहगवां गांव में नलकूप, कुएं, बावड़ी जैसे दीगर जल स्त्रोत नहीं होने के चलते गांव पूरी तरह से नदी पर आश्रित है. ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत स्तर पर किसी ने कोई व्यवस्था नहीं की है.
दरअसल सागर जिले से निकलने वाली सिंदूर नदी, नर्मदा की सहायक नदी है. यह देवरी के पास स्थित टिमरावन गांव के पास नर्मदा में मिलती है. इसके सूख जाने से ग्रामीण बेहद परेशान हैं.