पीएचक्यू से क्या अलग होगा एसआईबी?

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नेशन अलर्ट, 97706-56789.
रायपुर.

छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय एक आदेश के बाद अलग तरह की तकनीकी दिक्कत का सामना कर रहा है. दरअसल, बुधवार शाम को जारी हुए इस आदेश से यह परेशानी खड़ी हुई है.

अब तक पीएचक्यू के अधीन रहे एसआईबी में पृथक से उस आईपीएस अफसर की बतौर डीजी नियुक्ति कर दी गई है जो कि प्रभारी डीजीपी से सीनियर है. तो क्या एसआईबी को पीएचक्यू से अलग करने की तैयारी चल रही है?

मामला बैच में फंस चुका है. प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर गिरधारी नायक 1984 बैच के हैं. वे अब तक जेल विभाग के डीजी ही रहे. भाजपा ने उनकी वरिष्ठता को नज़र अंदाज करते हुए आईपीएस एएन उपाध्याय को पुलिस महानिदेशक का पद दिया था.

कांग्रेस सरकार ने उन्हें अब जाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी है. बतौर डीजी अब वे नक्सल ऑपरेशन और स्पेशल इंटेलीजेंस भी देखेंगे. पेंच यहीं फंसा है.

उनसे दो साल जूनियर 1986 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी इन दिनों प्रभारी पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. बुधवार के पहले तक अवस्थी के पास नक्सल ऑपरेशन, एसआईबी के साथ ही ईओडब्लू-एसीबी का भी चार्ज था. लेकिन अब वे महज प्रभारी पुलिस महानिदेशक रह गए हैं.

ऐसी स्थिति में नायक का रुतबा किसी भी शर्त में अवस्थी से कम नहीं है. वे वरिष्ठ भी हैं. जाहिर तौर पर सवाल खड़ा हो चुका है कि क्या कनिष्ठ अफसर को एक वरिष्ठ अफसर रिपोर्ट करेगा..? ये मुमकिन दिखाई नहीं पड़ता.

इसे देखते हुए महकमे में चर्चा है कि एसआईबी को पृथक से विभाग का दर्जा दिया जाएगा. यदि ऐसा होता है तो ही नायक लाभांवित होंगे. वरना उन्हें वरिष्ठ होते हुए अपने कनिष्ठ अफसर (डीएम अवस्थी) को रिपोर्ट करना पड़ेगा.

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