किस फार्महाऊस में छिपे बैठा है निलंबित आईपीएस..?
नेशन अलर्ट, 97706-56789.
भिलाई/रायपुर.
कानून से भागता-बचता एक निलंबित पुलिस अधिकारी और पहले एसपी का रुतबा रखने वाला एक आईपीएस अफसर किसी खंडेलवाल के फार्महाऊस पहुंचे. कुछ ही देर बाद वहां एक सफेद कार पहुंची. गाड़ी से नीचे उतरने वाला शख्स बिलासपुर से आया कोई वकील था.
देर शाम के बाद जब रात शहर को अपने आगोश में ले रही थी… शहर से कुछ दूर इस फार्म हाऊस में एक खुफिया बैठक चल रही थी. बैठक में वह निलंबित आईपीएस खुद और अपने साथी को बचाने के लिए मशविरे ले रहा था. वहां मौजूद एक दूसरा आईपीएस अफसर जो पहले राजधानी का एसपी था इसे लेकर संजीदा था.
बैठक के आखिर में घबराए और बचते फिर रहे निलंबित पुलिस अधिकारी को वकील ने अपना मशविरा दिया. इसके साथ ही निलंबित पुलिस अधिकारी ने पूर्व एसपी को एक गोपनीय दस्तावेज जुटाने की जिम्मेदारी थमा दी.
दूसरी ओर इस बैठक से दूर इनका सरगना लगातार बैठक में अपनी नज़र जमाए बैठा था. बैठक खत्म हुई और तीनों गाडिय़ां वहां से निकल गई.
ये किसी कहानी का जिक्र नहीं बल्कि असलियत है. जिस निलंबित पुलिस अधिकारी के किरदार का इसमें जिक्र है दरअसल वो राज्य में दहशतगर्दी, घोटाले और समानांतर सरकार चलाने वाला अफसर रहा है.
शनिवार की रात हुई इस खुफिया बैठक में जो कुछ भी तय हुआ वह इशारा करता है कि कहीं न कहीं फिर एक षडय़ंत्र रचा जा रहा है… और इस बार इस षडय़ंत्र के सहारे राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है.
भंडारी ने क्यूं पनाह दी है..
खंडलेवाल के फार्महाऊस से निकलकर निलंबित पुलिस अधिकारी किसी भंडारी के फार्महाऊस पहुंचा. दरअसल छिपते-भागते वक्त में यही वो जगह है जहां उसने पनाह ली है. वो यहां कुछ दिनों से बाहरी दुनिया पर नज़र जमाए छिपा बैठा है.
जो कुछ भी उसने अपने उस वक्त में किया जब वो सबसे ताकतवर हुआ करता था अब वही सब उसे खत्म किए जा रहा है. दिसंबर के महिने से उससे वो सब छिन लिया गया जिसके सहारे वो खुद को आका समझने की भूल कर बैठा था.
बताया जाता है कि, इस सरकार के बेहद महत्वपूर्ण मंत्री के दरवाजे पर इस अधिकारी को बिठाया जाता था.. और अचानक ही कोई छोटा कार्यकर्ता बाहर आकर इस तरह से उसका नाम पुकारता था.. जैसे किसी दरबान को बुलाया जाता है.
सवाल यह भी है कि भंडारी ने ऐसे संदिग्ध और निलंबित चल रहे पुलिस अफसर को किस कारण पनाह दी? क्या वो भंडारी भी इस निलंबित पुलिस अधिकारी का शिकार है या वो वाकई पनाहगार है?