जनता की नब्ज टटोलने में डॉक्टर से ज्यादा सफल रहे भूपेश
नेशन अलर्ट ब्यूरो. नई दिल्ली.
15 साल जिस सरकार के मुखिया डॉक्टर रहे वे आ$िखर में जनता की नब्ज टटोलने में किसान पुत्र से पिछड़ गए. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने जिस तरह से वापसी की है उससे भाजपा सकते में है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और अब प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस चुनाव में साबित किया कि कैसे अवसरों को सफलता में तब्दील किया जाता है.
उन्होंने जनता को बखूबी समझा. उनके मुद्दों को समझा. किसानों की पीड़ा को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. वे संघर्ष करते रहे और अंत में वे जीत गए.
कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार की बात करें तो आ$िखर में पांच कारण ही नज़र आते हैं जिन्होंने इस चुनाव में अपना असल असर दिखाया.
यही वो कारण रहे जिसके बूते कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के इतिहास में इतनी बड़ी जीत दर्ज कि जो 15 साल तक विकास का दंभ भरने वाली भाजपा भी डॉ. रमन सिंह के चेहरे को सामने रखकर भी हासिल नहीं कर पाई.
ऊब को नकारा, कांग्रेस ने स्वीकारा
भाजपा ने एंटी इंकम्बेंसी को महज हौव्वा करार दिया. चुनाव के नतीजे आने से पहले तक भाजपा के दिग्गज इसे अफवाह करार देते रहे. लेकिन कांग्रेस ने इसमें चूक नहीं की.
भूपेश की अगुवाई में कांग्रेस ने इसे अवसर के तौर पर लिया और जनता के सामने एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे. भाजपा ने तो ऊब को नकार दिया लेकिन कांग्रेस ने इसे स्वीकार कर अपना रास्ता बनाया.
डॉक्टर भी माने, घोषणापत्र ने असर दिखाया
चुनाव के नतीजे एक तरफा आए तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से सवाल हुए. उन्हें मानना ही पड़ा कि वे और उनका राजनीतिक दल जिस घोषणा पत्र का माखौल उड़ा रहे थे उसने जनता की मानसिकता ही बदल दी.
वोटिंग के बाद से खरीदी केंद्रों में किसानों ने धान बेचना बंद कर दिया था. इशारा मिल चुका था. ग्रामीण वर्ग कांग्रेस के घोषणा पत्र से प्रभावित था. शहरी वर्ग में बदलाव की बयार ने काम किया.
प्रत्याशी चयन में राहुल फॉर्मूला चल निकला
कांग्रेस ने यहां अपनी जीत 50 फीसद तय कर ली थी. इस चुनाव में राहुल फार्मूला के तहत प्रत्याशियों का चयन हुआ. अंदरुनी सर्वे से निकलकर आए नामों को प्राथमिकता दी गई.
कुछ ऐसे नाम भी सामने आए जिनकी उम्मीद किसी को नहीं थी. वे चुनाव जीत भी गए. भाजपा ने प्रत्याशी चयन के मामले में एक बार फिर लापरवाही की, कहा जा सकता है.
मंत्रियों, दिग्गजों का बेलगाम रवैया
चुनाव के दौरान भाजपा के ओवरकॉन्फिडेंट चेहरों ने भाजपा की गाड़ी में काफी डेंट लगा दिए. मंत्री जो प्रत्याशी भी बने वेे बेलगाम रहे.
उनके बयानों ने सुर्खियां बटोरीं. दिग्गज कहे जा रहे भाजपा के चेहरों ने भी अपनी ही पार्टी पर कहर बरपा दिया. कांग्रेस ने यह चुनाव आक्रमकता से लड़ते हुए अपनी मर्यादाएं संभाल कर रखीं. नतीजा पक्ष में आया.
अफसरशाही ने डुबोया रमन टाइटेनिक
डॉ. रमन सिंह जब मुख्यमंत्री बने तब भी भाजपा यहां बहुमत ले आए ऐसी स्थिति को सहज स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल था. डॉ. रमन का तो नंबर भी नहीं था उस सूची में जिसमें संभावित मुख्यमंत्रियों के नाम थे.
बहरहाल, संयोग हुआ. भाजपा आई.. रमन ने कमान संभाली. रमन का टाईटेनिक खुले समंदर में लंबे सफर के लिए निकल पड़ा. कई तूफान आए पर वो नहीं डिगा. लेकिन अंत में इसी जहाज के कप्तान ने टाईटेनिक डूबो दिया.
छत्तीसगढ़ सरकार में हावी अफसर शाही को कांग्रेस ने उधेड़ कर रख दिया. खुलासे शुरु हुए. भूपेश बघेल के नेतृत्च में इस सच को सामने लाने पुरजोर कोशिश की गई.नतीजा फिर कांग्रेस के पक्ष में आया.