चाँदनी तेरस को 1008 दीपों से होगी भुआजी सा की आरती
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नेशन अलर्ट/जैसलमेर.
आसोज सुदी तेरस को जोगीदासधाम में मेला लगने जा रहा है. इसी चाँदनी तेरस को माजीसा माँ की विशेष आरती भी होगी जिसमें एक हजार आठ दीपों का उपयोग होगा.
उल्लेखनीय है कि जैसलमेर, राजस्थान का सीमावर्ती जिला है. इस जिले को धार्मिक पर्यटन में भी विशेष स्थान मिला हुआ है. दरअसल, जैसलमेर न केवल अपने सुनहरे रेत के टीलों और रेगिस्तानी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भक्ति और उपासना का भी एक प्रमुख स्थल है.

विश्व धरोहर स्थल जैसलमेर किला, डेज़र्ट नेशनल पार्क, गड़ीसर झील, यहाँ की हवेलियाँ आदि प्रसिद्ध हैं. इस जिले में ऐतिहासिक और साँप्रदायिक सद्भावना से परिपूर्ण अनगिनत हिंदू मँदिर हैं.
फिर वह भारत – पाक सीमा के पास स्थित तनोट माता का मँदिर हो, गजरूप में स्थित श्री स्वाँगिया माता मँदिर, परित्यक्त गाँव कुलधरा के उत्तर में स्थित माँ भदरिया राय मँदिर हो अथवा जोगीदास का गाँव का श्री भुआजी सा स्वरूप कँवर भटियानी जी मँदिर ही क्यूं न हो.
कहाँ स्थित है यह गाँव . . ?
जैसलमेर को बसाने का काम भाटी राजपूत शासक रावल जैसल ने किया था. उन्हीं के नाम से इस शहर का नामकरण जैसलमेर हुआ. इसी जैसलमेर से तकरीबन 85 किलोमीटर दूर जोगीदास का गाँव नाम से एक गाँव स्थित है जिसे अब देश विदेश में जोगीदासधाम के नाम से जाना जाता है.
इसी गाँव की एक बेटी है जिन्हें भुआसा (बुआजी) के नाम से भी लोग जानते हैं. वैसे इनका मूल नाम स्वरूपकँवर था जिसे लोगों की आस्था ने, विश्वास ने रानी भटियानी, मोतियाँ वाली माँ जैसे अनेक नाम दिए हैं. जैसलमेर के दक्षिण में भाटीसरा क्षेत्र है. यही इलाका आज दक्षिणी बसीया कहलाता है जहाँ स्थित है भुआसा जी का मायका जोगीदास का गाँव.
बताते चलें कि पृथ्वीराज के बडे़ सुपुत्र जोगीदास ने विक्रम सँवत 1741 में यह गाँव स्थापित किया. उन्हीं के नाम से आज यह गाँव जोगीदास का गाँव है. यहाँ के वह पहले जागीरदार हुए. उन्होंने गोगासर कुँआ, राणासर तालाब खुदवाए.
जोगीदास के दो विवाह हुए थे. पहली शादी राजकँवर के साथ हुई थी. वह बाड़मेरा परिवार की थीं. राठौड़ रतनसिंह की सुपौत्री थीं. उनके पिता का नाम दलपत सिंह था. दूसरा विवाह उन्होंने बदनकँवर खींवसर के साथ रचाया. करमसोत राठौड़ गोपालसिंह उनके दादाश्री थे. उनके पिताश्री का नाम अर्जुन सिंह था.

विवाह उपरांत भी जोगीदास को लँबे समय तक सँतान सुख नहीं मिला था. तब गुरू की आज्ञा अनुसार उन्होंने भाटीवँश की कुलदेवी माँ स्वाँगीया जी की विशेष पूजा की. माँ स्वाँगीयाजी को आईंनाथजी के नाम से भी जाना जाता है. इसी पूजा से माँ प्रसन्न हुईं.
उन्हीं के आशीर्वाद से घर पर कुमकुम की बारिश हुई. तब विक्रम सँवत 1745 के भादवा सुदी सातम को माँ (स्वरूप कँवर) का अवतरण हुआ. जन्म के नवमें दिन नाम रखा गया स्वरूप कँवर. चूँकि वह भाटीकुल में जन्मीं थी इसलिए उन्हें सम्मान से रानी भटियानी सा के नाम से भी पुकारा जाता है. गाँव वाले आदर और सम्मान के साथ उन्हें ही अधिकाँशत: भुआसा के नाम से पुकारते हैं.
माँ भटियानी की इस पावनधरा जोगीदासधाम में श्री भुआजी सा स्वरूप कँवर भटियानीजी मँदिर सेवा एवँ विकास सँस्थान नाम का ट्रस्ट काम करता है. तरुण सिंह भाटी इसी के प्रबंधक हैं. उनसे “नेशन अलर्ट” ने मेला व जागरण के विषय पर सँवाद किया था.
तरुणभाई बताते हैं कि आसोज सुदी तेरस इस बार 5 अक्तूबर दिन रविवार को पड़ रही है. उस दिन जागरण के साथ ही मेले का भी आयोजन होने जा रहा है. प्रसिध्द भजन गायिका नीता नायक, आशा वैष्णव के अलावा अन्य कलाकार भी माँ के भजन प्रस्तुत करेंगे. यह आयोजन ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है.

मँदिर समिति से मिली जानकारी के मुताबिक प्रातः 7 बजे से हवन प्रारँभ हो जाएगा. हवन की क्रिया पँडित सुरेंद्र शर्मा की देखरेख व मार्गदर्शन में सँपादित की जाएँगी. दोपहर 12 बजे से शाम साढे़ बजे तक का समय भक्ति एवँ चढा़वे के लिए तय किया गया है. इसी में नीता नायक व चाँदमल गुर्जर अपनी प्रस्तुति देंगे.
प्रबँधक भाटी बताते हैं कि रविवार शाम सवा चार बजे चढा़वा बोलकर आदेश दिया जाएगा. महाआरती का समय सँध्या 7 बजे का है. लाभार्थी परिवार द्वारा 108 दीपों से श्री भुआजी सा स्वरूप कँवर बाईसा की आरती की जाएगी. इस दौरान परिसर में उपस्थित भगतों द्वारा 1008 दीपक माजीसा माँ की आरती में प्रज्वलित किए जाएँगे.
महाआरती के पश्चात् रात्रि जागरण का कार्यक्रम प्रारँभ होगा. यह मँदिर धर्मशाला के समीप स्थित मैदान में रात के 9 बजे से शुरू होगा. जागरण के इस कार्यक्रम में ही स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध आशा वैष्णव, माजीसा माँ की स्तुति करती सुनाईं देंगी. मुकेश डाँगी, हेमँत लाँबा, जेठुसिंह राजपुरोहित, महावीर साँखला द्वारा भजन व अन्य प्रस्तुति दी जाएँगी. मेला व जागरण के इस कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूरी हो गई है.

