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क्यूँ बढ़ रहा समुद्र का जलस्तर ?

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नेशन अलर्ट/जिनेवा.

विश्व मौसम सँगठन (WMO) की एक रपट ने पानी की महत्ता की ओर पुनः ध्यान आकृष्ट किया है. समुद्र का जलस्तर बढ़ने के साथ साथ ग्लेशियर के पिघलने को जलवायु परिवर्तन से जोड़ने वाली यह रपट चिंता पैदा करती है.

यह रपट एक तरह से दुनियाँ को चेतावनी भी दे रही है. डब्ल्यूएमओ के मुताबिक विश्व भर में पानी की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है.

खतरनाक रहा 2024…

वर्ष 2024 खतरनाक रहा है. पिछले वर्ष बर्फ के पहाड़ों यानिकि ग्लेशियर से तकरीबन 450 अरब टन बर्फ पिघल गई थी.

इससे समुद्र के जलस्तर में भी वृद्धि दिखाई दी. इसने ही तटीय क्षेत्रों को एक तरह से डूबान क्षेत्रों में बदल दिया. तापमान भी बढ़ गया.

पिछला साल एल – नीनो से प्रभावित था. असर यह हुआ कि भारत सहित पाकिस्तान, मध्य एशिया, यूरोप के बडे़ हिस्से में सामान्य से अधिक बारिश रिकार्ड की गई थी.

इसके उलट दक्षिण अफ्रीका, अमेजन, दक्षिण अमेरिका में जो सूखा पडा़ वह भयंकर श्रेणी का था. और तो और समुद्र के जलस्तर में 1.2 मिमी की वृध्दि दर्ज की गई.

रपट में चेताते हुए कहा गया है कि आने वाले समय में पानी की कमी से जूझने वाले लोगों की सँख्या में भारी बढो़त्तरी होगी. फिलहाल विश्व में 3.6 अरब लोगों को कम से कम एक महीने पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता.

इसके बढ़कर 5 अरब हो जाने का अनुमान लगाया गया है. डब्ल्यूएमओ का यह आँकलन 2050 के आते तक पूरा हो सकता है.

रपट मौसम के असँतुलन की ओर इशारा करती है. उसके मुताबिक जलवायु परिवर्तन का असर विश्व में अब साफ दिखाई पड़ने लगा है.

पानी का चक्र 2024 में असामान्य रहा था. इसका असर यह हुआ कि कहीं भीषण सूखा, कहीं भारी बारिश तो कहीं पर बाढ़ आई. केवल एक तिहाई नदी क्षेत्रों में पानी की स्थिति सामान्य रही.

शेष हिस्सों में यह या तो बहुत ज्यादा था या फिर बेहद कम रहा था. 2024 लगातार छठा साल था जब इस तरह का असँतुलन दिखाई दिया था. मतलब दुनियाँ गँभीर जलसँकट की ओर बढ़ रही है.