क्या दिल्ली से आईबी की स्पेशल टीम आई थी ?
सँदर्भ : सँजय विनायक जोशी समर्थकों का गोपनीय यज्ञ
मृत्युंजय / नेशन अलर्ट.
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रायपुर.
क्या सँजय विनायक जोशी की भाजपा में ताजपोशी होने वाली है ? क्या जोशी और उनके समर्थकों की गतिविधियों पर इन दिनों तगडी़ निगाह रखी जा रही है ? क्या छत्तीसगढ़ का प्रशासन और सँगठन दिल्ली की आँखों में सँदिग्ध हो चला है ? यदि हाँ, तो सवालियां शीर्षक का उत्तर आपको भी मिल ही गया होगा.

दरअसल, शह और मात का यह खेल जिस भाजपा में खेला जा रहा है उसकी केंद्र में सरकार है ही. इस सरकार के मुखिया परम आदरणीय नरेंद्र मोदी जी लगातार कई वर्षों तक भारतीय प्रधानमंत्री की कुर्सी सँभालने वाले तीन नेताओं की सूची में शामिल भी हैं.
और तो और इनके समर्थक गाहेबेगाहे इन्हें अँतर राष्ट्रीय स्तर का नेता बताने का ढोल पीटते रहते हैं. बताते चलें कि वही आदरणीय मोदी जी इन दिनों देश में अँदर और बाहर विभिन्न तरह की समस्याओं का पूरी बहादुरी के साथ सामना कर रहे हैं.
ऐसी नाजुक घडी़ में उनका सच्चा और ईमानदार साथी यदि आज कोई है तो वह चाणक्य सरीखा सा ही होगा. चाणक्य की बताई साम – दाम – दँड़ – भेद की नीति – रीति – कूटनीति इस दौर में बरबस ही उल्लेखनीय हो जाती है.
सँघ, जोशी और अध्यक्ष की कवायद . . .

और बरबस याद आने वाली उल्लेखनीय सूची में राष्ट्रीय स्वयंसेवक सँघ यानि कि आरएसएस, मोहन भागवत, सँजय विनायक जोशी सरीखे नाम भी हैं. सँगठन और इन माननीय व्यक्तियों का आदरणीय प्रधानमंत्री के साथ वर्षों पुराना याराना है ही.
. . .फिर भी शह और मात का खेल खेला जा रहा है. एक तरफ गुजरात लाबी है जिसका नेतृत्व मोदी – शाह के पास बताया जाता है तो दूसरी तरफ सँघ समर्थक हैं जिन्हें भागवत सरीखा दिव्य पुरुष आलोकित करते रहता है.

वही आलोकित करते रहने वाले भागवत इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सँजय विनायक जोशी को बिठाना चाहते है. (ऐसा सँघ भी चाहता है ऐसी खबरें आती रही हैं.) और वह भी किसी भी कीमत पर. सँभवतः इसी के मद्देनज़र विश्व की सबसे बडी़ पार्टी को कामचलाऊ अध्यक्ष (जेपी नड्डा) के सहारे किसी तरह से धीरे धीरे रेंगाया जा रहा है.

ऐसा क्यूँ . . . क्यूँ कि गुजरात लाबी को जोशी सरीखा नाम पसँद नहीं आ रहा है. इसी तरह उसकी तरफ से सुझाय गए नामों पर सँघ, अपनी नाक भौंह सिकोड़ रहा है.
बताते हैं कि ऐसी स्थिति में दोनों खेमों के ईश्वर की शरण में जाने का दौर शुरू हो गया है. कुछ इसी तरह की खबरें इन दिनों सुनाई पड़ने लगी हैं.
ऐसी ही एक खबर सँघ खेमे से जुडी़ हुई है. इस खेमे के कुछ राष्ट्र भगतों ने जोशी के लिए चाही गई मुराद पूरी हो सोचकर एक ईच्छापूर्ति यज्ञ कराया. इस तरह की राजनीतिक मानस में जनचर्चा गाहे बेगाहे हो रही है.

यह यज्ञ कहाँ हुआ, किस किस ने सहयोग किया यह फिर कभी किसी और रोज़ लेकिन जिस देवी मँदिर में यह हुआ उन्हें (मान्यता मुताबिक) पद, प्रतिष्ठा, पैसों की अकाट्य आपूर्ति करने वाली माना जाता है.
चूँकि सँघ, भागवत और जोशी जी की पल पल की गतिविधियों पर खुफिया निगाहें लगी हुई बताई जाती हैं इस कारण आगे पीछे ही सहीं लेकिन यह सूचना (खबर) दिल्ली दरबार तक किसी तरह पहुँची अथवा पहुँचाई गई.

माना जाता है कि ऐसी खबर दिमाग के घोडे़ दौडा़ने मजबूर कर देती है. ऐसा ही कुछ इसके साथ भी हुआ. दिल्ली दरबार हाई अलर्ट हुआ. उसकी खुफिया शाखा तुरँत सक्रिय हुई. उत्तर दक्षिण, पूरब पश्चिम टीमें दौडा़ई गईं. ज्ञात हो इस मामले में ऐसा ही बताया जा रहा है.
बताने वाले बतातें तो यह भी हैं कि जो टीमें दौडा़ई गईं थीं वह “वेरी स्पेशल” थी. मतलब उनके बारे में उनके घरवाले ही कुछ ज्यादा मालूमात नहीं रखते हैं.
अब इसी टीम को लेकर बैचेनी महसूस किए जाने की खबर सुनाई दे रही है. लेकिन कोई भी फिलहाल कुछ भी बोलने तैयार नहीं है. शायद उन्हें इक ओर कुँआ (वा) दिखाई दे रहा हो तो दूसरी तरफ अँधेरी खाई.

