डाक्टर साहब ! बीमार है आपका / हमारा जिला अस्पताल !!
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राजनाँदगाँव.
सँसदीय क्षेत्र के मुख्यालय का जिला अस्पताल अब भी बीमार ही है. वह भी तब, जब सिंगल – डबल तो छोडिए बल्कि ट्रिपल इँजन की सरकार है. साँसद, विधायक व महापौर के बाद अब जबकि जिला प्रशासन की कमान भी “डाक्टर कलेक्टर” के हाथों में आ गई है तब भी जिला अस्पताल बीमार ही है. आखिर क्यूं . . ?
सँसदीय क्षेत्र राजनाँदगाँव में नाँदगाँव सहित कवर्धा, खैरागढ़ – छुईखदान – गँडई, मोहला – मानपुर – अँबागढ़ चौकी यानिकि कुल चार जिले शामिल हैं. ये कभी राजनाँदगाँव जिले का ही हिस्सा हुआ करते थे. मतलब तब यह नाँदगाँव के ही जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहे होंगे जोकि आज भी हैं.
नहाने तो छोडिए पीने भी पानी नहीं . . .
हम अपने पाढ़कों – दर्शकों को यह बताते चलें कि बसँतपुर स्थित जिला अस्पताल में प्रतिदिन दो सौ से अधिक मरीजों की ओपीडी रहती है. भर्ती मरीजों के नहाने की तो छोडिए यहाँ तो रोजाना पहुँचने वाले मरीजों को जरूरत होने पर पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ता है.
जब मरीजों को पानी के लिए ही इतनी भीषड गर्मी में तरसना पड़ रहा हो तो चिकित्सकों व दवाओं की उपलब्धता की तो बात ही छोडिए. कुछ मरीज बताते हैं कि उन्हें न तो समय पर चिकित्सक की सेवा मिल पाई और न ही समुचित दवा. भोजन के भी सँबँध में मरीजों की अपनी शिकायत है.
बहरहाल, आपका और हमारा जिला अस्पताल ही बीमार है. इस बीमारी का उपचार आईसीयू में ही हो पाएगा क्यूं कि इस जिला अस्पताल के पँखें भी दम तोड़ते नज़र आ रहे हैं. लेकिन किन्हें . . . उन्हें शायद नहीं जिन्हें जिम्मेदारी सौंपने का काम आपने और हमने किया है.
” जीवनदीप समिति की बैठक शीघ्र रखी जाएगी. बैठक में सभी समस्याओं का परीक्षण होगा.”
– डा. सर्वेश्वर भूरे
जिलाधीश राजनाँदगाँव.

