फिर उठा मिक्की मेहता की मौत का मसला
नेशन अलर्ट/रायपुर।
डॉक्टर मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत का मामला फिर उठ गया है। दरअसल, न्यायालय ने मिक्की की मां श्यामा मेहता से कहा है कि वह फिर याचिका दायर कर सकतीं हैं। साथ ही साथ अधिवक्ताओं के संबंध में यदि उन्हें कोई शिकायत है तो बार कौंसिल जाने का सुझाव कोर्ट ने श्यामा मेहता को दिया है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. मिक्की मेहता प्रदेश के ताकतवर, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस माने जाने मुकेश गुप्ता की पत्नी हुआ करतीं थीं। एक रोज उनकी जो मौत हुई उसके बाद से उनकी मां श्यामा मेहता न्याय के लिए दर-दर भटक रहीं हैं। सात सितंबर 2001 को मौत के मामले में तब से न्याय की उम्मीद मेहता परिवार कोर्ट से लगाए बैठा है।
मर्ग जांच में हुई लापरवाही
श्यामा मेहता का मानना है कि रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता के सरकारी बंगले में मिक्की मेहता की जान गई थी। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस ने इसे आत्महत्या ठहराते हुए मर्ग जांच में गंभीर लापरवाही की है। श्यामा यह भी कहतीं हैं कि मामले को नस्तीबद्ध कर दिया गया जबकि उन्हें मौत पर संदेह है।
अनाधिकृत अधिवक्ता ने मामला लिया वापस
बताया जाता है कि बिना याचिका कर्ता की जानकारी के अनाधिकृत अधिवक्ता के द्वारा मामला वापस ले लिया गया था। वर्ष 2010 की 16 फरवरी को परिवाद को बिना याचिकाकर्ता श्रीमती श्यामा मेहता की जानकारी के एक वकील (श्री शैलेन्द्र शर्मा) द्वारा वापस ले लिया गया था। जिसे श्रीमती श्यामा मेहता ने अधिकृत भी नहीं किया था।
आज उक्त याचिका को यथावत करने हेतु लगी याचिका की सुनवाई छ.ग. उच्च न्यायालय के समक्ष थी। सुनवाई के दौरान इस बात की पुष्टि हो गयी कि अधिवक्ता विनय पांडे, जो श्रीमती श्यामा मेहता द्वारा अधिकृत थे ने अधिवक्ता शैलेन्द्र शर्मा जो श्रीमती श्यामा मेहता द्वारा अधिकृत नहीं थे, को याचिका वापस लेने हेतु अधिकृत नहीं किया था।
इससे कोर्ट के समक्ष श्यामा मेहता द्वारा यह साबित किया गया कि किसी षड्यंत्र के तहत गलत तरीके से उनका परिवाद वापस लिया गया है। इससे आईपीएस मुकेश गुप्ता को लाभ पहुंचता हुआ नजर आता है।
न्यायालय के इस फैसले से यह मामला पुन: गंभीर हो चला है। साथ ही साथ श्यामा मेहता व उनके परिवार को न्याय की उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। अब देखना यह है कि क्या श्यामा मेहता अधिवक्ता शैलेंद्र शर्मा के खिलाफ बार काउंसिल में शिकायत करतीं हैं और मामले को लेकर पुन: कोई याचिका कोर्ट में दायर करतीं हैं अथवा नहीं।