खबरों की खबरछत्‍तीसगढ़हिंदुस्तान

नाँदगाँव : शिवनाथ किनारे का प्यासा शहर !

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/9770656789

राजनांदगाँव.

शहरवासियों जमकर होली खेलिएगा क्यूं कि उधार में ही सही पानी की व्यवस्था हो गई है. महापौर मधुसूदन यादव की मेहनत का ही नतीजा है कि आने वाले कुछ दिन कँठ तर होते रहेंगे. बाद की स्थिति परिस्थिति कैसी होगी इस पर विचार विमर्श करते समय उन विषयों पर भी ध्यान देने का कष्ट कीजिएगा कि शिवनाथ नदी के किनारे का यह शहर क्यूं कर प्यासा हो रहा है ?

दरअसल, महापौर व शहर के 51 वार्डों के पार्षदों ने बीते 8 मार्च को शपथ ली थी. पार्षदों की खुमारी अभी उतर ही नहीं पाई थी कि महापौर मधुसूदन यादव को नाँदगाँव में उभर रहे जलसँकट से दो दो हाथ करने शिवनाथ के मोहारा एनीकट एरिया का निरीक्षण करने मैदान में उतरना पडा़ था.

खाली खजाना : जिम्मेदार कौन . . ?

नगर निगम राजनांदगाँव का खजाना तकरीबन खाली पडा़ है. ऐसा क्यूं हो रहा है और इसका जिम्मेदार कौन है ? बीते पाँच बरस भी (2024 के पहले) डबल इँजन की ही सरकार थी. तब प्रदेश व राजनांदगाँव में काँग्रेस राज था.

. . . तो क्या काँग्रेस ही इसके लिए जिम्मेदार है ?

वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. वे कहते हैं कि राज्य बनने के बाद लगभग भाजपा का ही राज, नांदगाँव में रहा है. जोगी के मुख्यमँत्री कार्यकाल को लिया जाए तो सुदेश देशमुख कार्यकारी महापौर रहे थे.

इसके बाद का समय लिया जाए तो भाजपा अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है. बीच में नरेश डाकलिया के महापौर कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो स्वर्गीय श्रीमती शोभा सोनी, मधुसूदन यादव भाजपा से ही महापौर बने थे.

और तो और पँद्रह साल तक प्रदेश में राज करने वाले मुख्यमँत्री डा. रमन सिंह कुलजमा चौथी बार के नाँदगाँव से विधायक हैं. 2004 में वह मुख्यमँत्री रहते हुए डोंगरगाँव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीते थे. इसके बाद 2008 और 2013 में भी जब उनके नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार थी तब वही नाँदगाँव के विधायक हुआ करते थे.

2018 में जब प्रदेश में काँग्रेस 68 सीटें जीतकर सरकार बना ले गई तब भी राजनांदगाँव का प्रतिनिधित्व डा. रमन सिंह के ही पास था. यह वही समय था जब निगम में काँग्रेसी महापौर श्रीमती हेमा देशमुख का राज रहा. एकतरह से 2019 से लेकर 2023 तक नाँदगाँव डबल इँजन देख रहा था.

माना जा सकता है कि उस दौर में रमन सिंह की नहीं चली होगी लेकिन इसके पहले और बाद में वह राजनांदगाँव को अकेला नहीं छोड़ सकते. हाँ, इस बार वह बदली हुई भूमिका में हैं लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का पद भी दमदार माना जाता है.

“नेशन अलर्ट” अपने पाठकों/दर्शकों को स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी, ईश्वरदास रोहाणी से लेकर स्वर्गीय राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल के तक के कार्यकाल की याद दिलाना चाहेगा. इन्होंने अपने समय में सरकार की नींद गायब कर रखी थी.

. . . तो फिर नाँदगाँव बार बार प्यासा क्यूं हो जा रहा है ?

मतलब साफ है कि इच्छा शक्ति के अभाव के चलते ही यह परिस्थिति निर्मित हुई है. लेकिन अब भाजपा के किंतु परँतु करने का अवसर भी नहीं है. केंद्र में उसकी सरकार, साँसद उसका, राज्य में उसकी सरकार, विधायक उसका, निगम में उसकी सरकार और महापौर भी भाजपा का ही.

अब सिर्फ़ काम ही हो सकता है. और वही करने के प्रयास में मधुसूदन यादव पहले दिन से ही लग गए हैं. उनकी मेहनत से होली के ठीक पहले उधार का ही सही लेकिन पेयजल के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो गया है.

करोड़ों का बकायादार है नाँदगाँव . . .

बहरहाल, नदी किनारे की यह सँस्कारधानी प्यासी ही है. अमृत मिशन की उपलब्धियाँ महज कागजों तक ही हैं. आज भी शहर में पानी के टैंकर लाखों का डीजल फूँकते नज़र आते हैं.

नगर को प्यासा न रखना पडे़ इस कारण निगम को पानी लेना पड़ रहा है लेकिन वह भी उधारी में आ रहा है. मोंगरा बैराज के 11 करोड़ सहित मटियामोती जलाशय के दो करोड़ के कर्जदार आप और हम हैं.

शहर में जलापूर्ति करने के लिए तकरीबन 15 टँकियाँ हैं जोकि इन दिनों पूरी तरह भर ही नहीं पा रही हैं. नतीजतन नाँदगाँव को एक ही समय जलापूर्ति की जा रही है. शहर की प्यास बुझाने रोजाना 4 करोड़ 40 लाख लीटर पानी की फिलहाल जरूरत पड़ती है.

क्या इतना पानी शिवनाथ के मोहारा एनीकट में उपलब्ध हो गया है ? क्या रेत माफिया इस प्यास के लिए जिम्मेदार नहीं हैं ?