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शीतला माँ से अभिषेक ने क्या माँगा ?

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राजनांदगाँव.

मूलतः कवर्धा के रहने वाले अभिषेक सिंह ने आज अपने जन्म दिन पर शहर की नगरमाता माँ शीतला के दरबार में मत्था तो टेका लेकिन इससे एक नई सँभावनाओं पर बात शुरु हो गई है. तो क्या यह माना जाए कि पूर्व साँसद अभिषेक सिंह अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि राजनांदगाँव में तैयार कर रहे हैं ताकि उन्हें भविष्य के चुनाव में किसी तरह की परेशानी न हो ?

दरअसल, अभिषेक सिंह कभी राजनांदगाँव के पूर्व साँसद रह चुके हैं. दुर्भाग्य से उन्हें दूसरी मर्तबा अवसर नहीं मिल पाया. चूँकि उनके स्थान पर जिस सँतोष पाँडेय को अवसर मिला वह न केवल पहली बार साँसद बनें बल्कि दूसरी मर्तबा भी सँसदीय चुनाव की टिकट लेकर आ गए.

कवर्धा खाली नहीं, नांदगाँव से मिल सकता है अवसर . . .

अब बात आती है कवर्धा की तो निकट भविष्य में अभिषेक के लिए खाली नहीं हो पाएगी. कवर्धा सीट से इस बार विधायक बनें विजय शर्मा ने काँग्रेस के दिग्गज नेता मोहम्मद अकबर को धूल चटाई है. इसका फायदा भी उन्हें साय मँत्रिमँडल में उप मुख्यमंत्री के रूप में मिल चुका है. माना जा रहा है कि अगला चुनाव भी कवर्धा से वही लडे़ंगे.

एक ओर सँसदीय क्षेत्र तो दूसरी ओर कवर्धा विधानसभा से मामला अभिषेक के नज़रिए से फँसा हुआ नज़र आता है. चूँकि उनके पिताश्री डा. रमन सिंह राजनांदगाँव के विधायक हैं इस कारण यह बन रही सँभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है.

मुख्यमँत्री रहते हुए डा. रमन ने दो मर्तबा राजनांदगाँव विधानसभा की सेवा की है. वह यहाँ से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं. हालाँकि इस बार वह पार्टी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के लिए चुने गए. ईश्वर उन्हें स्वस्थ्य रखे लेकिन अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य उनकी सक्रियता पर असर डालने लगा है.

दूसरी ओर भाजपा का अलिखित सँविधान भी भविष्य में डा. रमन की चुनावी राजनीति के आडे़ आता हुआ नज़र आने लगा है. वह अगले विधानसभा चुनाव तक 75 प्लस हो जाएँगे. हालाँकि भाजपा में परिवारवाद का विरोध होता है लेकिन कई इसके अपवाद भी हैं.

. . . तो क्या अभिषेक सिंह अभी से राजनांदगाँव पर नज़रें टिकाए हुए हैं ? यह सवाल तब ओर महत्वपूर्ण हो जाता है जब उनका जन्मदिन आता है. वह रायपुर में अपने अभिभावकों (डा. रमन सिंह – श्रीमती वीणा सिंह ) सहित अपनी धर्मपत्नी व बच्चे के साथ खुशियाँ मना सकते थे. वह अपने मूल स्थान कवर्धा भी जा सकते थे लेकिन उन्होंने नांदगाँव को ही चुना. आखिर क्यूं ?

इसका प्रमुख कारण नज़र आता है चुनाव की पहले से तैयारी का. दरअसल, किसी भी बडी़ पार्टी का कोई भी बडा़ नेता चुनाव आने के बहुत पहले से ही अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने लगता है. इन दिनों अभिषेक सिंह भी वही कर रहे हैं. इसमें उनका मार्गदर्शन डा. रमन सिंह कर ही रहे होंगे.

वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव इससे इनकार भी नहीं करते हैं. वे कहते हैं कि पिता की विरासत सँभालना हर अच्छे पुत्र का दायित्व तो है ही बल्कि जिम्मेदारी भी है. हो सकता है अभिषेक को विधानसभा अध्यक्ष और उनके पिताश्री डा. रमन सिंह नांदगाँव से लडा़ने बार बार राजनांदगाँव भेज रहे हों.

बहरहाल, बुधवार को पूर्व साँसद अभिषेक सिंह ने अपने जन्मदिन पर नगर के प्रमुख माता देवालय
शीतला माँ के दर पर अपना मत्था टेका. अमूमन इस मँदिर में राजनीति से जुडा़ हर छोटा बडा़ नेता पूजापाठ करने आता ही रहा है. आज अभिषेक ने भी वही किया. इस दौरान भावेश बैद, प्रखर श्रीवास्तव, गोलू गुप्ता, उत्तम साहू, वार्ड पार्षद शैंकी बग्गा आदि उपस्थित थे.