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साधु संत जिस दिन धरा उसी दिन दिवाली और दशहरा : निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज जी – Nation Alert

साधु संत जिस दिन धरा उसी दिन दिवाली और दशहरा : निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज जी

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राजनांदगांव। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पंचम निर्यापक श्रमण मुनि श्री समता सागर महाराज का मंगल विहार डोंगरगांव से राजनांदगांव की ओर हुआ। रात्रि विश्राम होकर मुनि श्री की आहार चर्या राजनांदगांव में होगी। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया प्रातःकाल मुनि श्री समतासागर महाराज ने भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा कराते हुये अभिषेक के विभिन्न स्वरुप की चर्चा करते हुये कहा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सबसे पहले जन्माभिषेक तत्पश्चात राज्याभिषेक इसके बाद दीक्षाभिषेक तथा कैवल्यज्ञान हो जाने के पश्चात सभी जिनबिंब प्रतिमाओं का जो अभिषेक होता है, वह अभिषेक कहलाता है।
उपरोक्त उद्गार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने भगवान का अभिषेक एवं विश्व में शांती हो, सभी जीव सुखी एवं स्वस्थ रहें की भावना से प्रातःकाल डोंगरगांव में संपन्न कराई।
मुनि श्री ने कहा महाराष्ट्र में एक कहावत प्रसिद्ध है कि साधू संत जिस दिन धरा उसी दिन दिवाली और दशहरा। यह आप लोगों का बहुत बड़ा पुण्य है कि मुनिसंघ आपके नगर में है तथा आर्यिका संघ का विहार भी इसी तरफ चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सभी श्रावकों को अभिषेक और पूजा करना चाहिये। उन्होंने कहा कि भगवान का अभिषेक तो सम्यक् दृष्टि भी करता है और मिथ्या दृष्टि भी करता है, अंतर इतना है कि सम्यक दृष्टि धर्म मानकर अभिषेक करता है, वहीं मिथ्यादृष्टि उनको अपना देवता मानकर अभिषेक करते है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते है कि बोली क्यों लगाई जाती है? जवाब देते हुये कहा कि सभी को अपने भावों को व्यक्त करने का अधिकार होता है। अब प्रथम अभिषेक के लिये पात्र चयन तो करना ही पड़ेगा, इसलिये बोली के माध्यम से यह व्यवस्था होती है, इससे जिनालय की व्यवस्था भी निर्विवाद चलती रहती है।
प्रवक्ता आविनाश जैन एवं प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया प्रातःकालीन बेला में निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीर सागर महाराज ने मन की एकता के साथ ध्यान कराया और कहा कि शुभ परिणामों के साथ यदि एक ग्रहस्थ षट आवश्यक का पालन करता है, तो उसके जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आ सकता है। प्रवक्ता अविनाश जैन एवं प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया निर्यापक श्रमण समतासागर महाराज के साथ मुनि श्री पवित्रसागर जी, ऐलक श्री निश्चयसागर जी ऐलक श्री निजानंद सागर जी तथा क्षुल्लक श्री संयम सागर जी महाराज का पग विहार चल रहा है। रात्रि विश्राम होकर प्रातःकालीन बेला में राजनांदगांव मंगल प्रवेश होगा एवं धर्म सभा तथा आहार चर्या संपन्न होगी।

(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)