सूख रही है शिवनाथ नदी
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रायपुर.
प्रदेश के आठ जिलों के निवासियों की प्यास बुझाने वाली शिवनाथ नदी सूखने लगी है. पानी का स्तर बडी़ तेजी से कम हो रहा है. इसके चलते जलाशयों पर निर्भरता बढ़ गई है.
उल्लेखनीय है कि शिवनाथ नदी को आधे छत्तीसगढ़ में जीवनदायिनी नदी माना जाता है. यह अविभाजित नांदगाँव जिले सहित दुर्ग, बेमेतरा, बलौदाबाजार, मुँगेली, बिलासपुर, जांजगीर चाँपा जिले से होकर गुजरती है.
बिक चुकी है यह नदी . . .
उल्लेखनीय है कि इस नदी को सरकारी स्तर पर बेचा भी जा चुका है. मध्यप्रदेश की तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार के समय राजनांदगाँव स्थित रेडियस वाटर लिमिटेड के साथ यह सौदा हुआ था.
बाद में जब बवाल मचा तब जाकर शिवनाथ नदी अपने क्रेता के चँगुल से मुक्त हुई थी. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नदी के इस अनैतिक सौदे पर अपनी किताब “स्वराज” में लिखा भी है.
ज्ञात हो कि यह नदी अब मोहला – मानपुर – अँबागढ़ चौकी जिले में शामिल पानाबरस की पहाडि़यों से निकलती है. नाँदगाँव से पानाबरस दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में है. इसका प्रवाह उत्तर पूर्व की ओर होता है.
मुख्य उद्गम स्थल महाराष्ट्र के गढचिरौली जिले में स्थित गोडरी नामक गाँव है. यह गाँव पानाबरस की पहाडी़ में ही आता है. समुद्र तट से शिवनाथ के उद्गम स्थल की ऊँचाई तकरीबन 624 मीटर होगी.

फिलहाल फरवरी के अँत में ही शिवनाथ नदी सूखने लगी है. नाँदगाँव के मोहारा तट की तस्वीर इसकी सच्चाई बयाँ करती है.
गर्मी की शुरूआत होने के पहले ही जब नदी का यह हश्र है तो भीषण गर्मी के दिनों में इसके तट पर बसे कस्बों, गाँवों और शहरों की प्यास की स्थिति समझी जा सकती है. यह वह समय होगा जब बूँद बूँद पानी के लिए तटवासियों को तड़पना पडे़गा.
रेत तस्करी को शिवनाथ की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. मोहला मानपुर जिले से लेकर जाँजगीर तक रेत के अवैध कारोबारी शिवनाथ के सीने को छलनी किए जा रहे हैं.
स्थिति दिन प्रतिदिन भयावह हो रही है. फरवरी के अँत में ही प्रवाह कम हो गया है. इसके चलते अकेले राजनांदगाँव में ही जलाशयों से पानी मँगाना पड़ रहा है.
नाँदगाँव नगर निगम ने अपने लोगों की प्यास बुझाने के लिए पहले मोखली जलाशय से तकरीबन सौ एमसीएफटी पानी मँगाया था. वह भी खत्म होने को है.
अब नांदगाँव का ध्यान मटियामोती जलाशय की ओर गया है. दो दिन पूर्व ही नांदगाँव निगम आयुक्त आँकलन करने मोहारा एनीकट पहुँचे थे. वह बताया गया कि 250 एमसीएफटी पानी मटियामोती से छोड़ दिया गया है.
बहरहाल, शिवा अथवा सीनू के प्राचीन नाम से चर्चित शिवनाथ नदी इस बार गर्मी में किस हद तक अपने तटवासियों की प्यास बुझा पाती है यह देखना होगा.

