सिंह – सिमनकर द्वारा तैयार वृतचित्र ने लूटी वाहवाही !
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राजनांदगाँव.
मीडिया जगत से जुडे़ वीरेंद्र बहादुर सिंह व कमलेश सिमनकर द्वारा तैयार वृतचित्र का प्रदर्शन तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी वाले धार्मिक सम्मेलन में किया गया. आँध्रप्रदेश के तिरूपति में आयोजित इस सम्मेलन में यहाँ के श्री बर्फानी आश्रम पर आधारित वृतचित्र ने दर्शक श्रोताओं सहित आयोजनकर्ताओं की वाहवाही लूट ली.
सम्मेलन में आश्रम की ओर से बर्फानी सेवाश्रम समिति के अध्यक्ष राजेश मारू सहित महामँडलेश्वर महँत गोविंद दास महराज भी सम्मेलन में शामिल हुए थे.
7 मिनट का वृतचित्र तैयार करने वाले सिमनकर और पटकथा लेखन करने वाले वीरेंद्र बहादुर ने इस मँदिर को वैश्विक मँच पर विशिष्ट पहचान दिलाई है.
माँ पाताल भैरवी मँदिर की दिव्यता, धार्मिक महत्ता और इसकी ऐतिहासिकता को यह वृतचित्र, मँच के समझ प्रस्तुत करने में सफल रहा. मँदिर का यह प्रयास अपने साथ साथ पूरे छत्तीसगढ़ को वैश्विक मँच पर एक अलग पहचान दिला गया.
कब और कहाँ हुआ आयोजन . . ?

उल्लेखनीय है कि यह आयोजन 17 से 19 फरवरी तक दक्षिणी प्राँत में हुआ. आँध्रप्रदेश की पुण्यभूमि तिरूपति इसकी गवाह बनीं.
आयोजन का उद्देश्य भारत की साँस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को नई उँचाइयों पर ले जाना था. अंतरराष्ट्रीय मँदिर सम्मेलन एवं प्रदर्शनी आशा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुई.
भव्य आयोजन का उद्देश्य मँदिरों के डिजिटलीकरण, सूचनाओं के प्रसारण और उनके सुव्यवस्थित प्रबँधन को सशक्त बनाना था. आँध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चँद्रबाबू नायडू इसके मुख्य अतिथि थे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की गरिमामयी उपस्थिति ने इसे और भी विशेष बना दिया. आयोजन में 27 देशों के मँदिर प्रतिनिधियों, धर्मशालाओं और आध्यात्मिक चैरिटी सँगठनों सहित लगभग 16 सौ प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
सम्मेलन में मँदिरों के सुरक्षा उपाय, आपदा प्रबंधन, तीर्थाटन प्रबंधन और तकनीकी सक्षमता पर विभिन्न चर्चाएँ की गईं. इसके अलावा कार्यशालाएँ और प्रस्तुतियाँ भी हुईं.
“टेंपल कनेक्ट” के संस्थापक गिरीश वासुदेव कुलकर्णी ने इसकी महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि भक्ति और श्रद्धा जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही मँदिरों का कुशल प्रबंधन भी आवश्यक है.
इस मँदिर सम्मेलन में अनेक प्रतिष्ठित कॉरपोरेट ब्रांड्स और प्रकाशन समूहों ने अपने स्टाल लगाए थे. स्टालों पर मँदिरों के आधुनिकीकरण और तीर्थयात्रा अनुभव को समृद्ध बनाने वाली तकनीक और सेवा से जुडी़ जानकारी प्रस्तुत की गई थी.