रद्दी में किताबें : मुख्यमंत्री व अपर मुख्य सचिव की कितनी इज़्ज़त ?
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रायपुर/राजनांदगाँव.
शिक्षा विभाग सँभाल रहे मुख्यमंत्री व अपर मुख्य सचिव की कितनी इज़्ज़त होती होगी यह रद्दी में किताब बेचने के मामले की जाँच से उजागर हो गया है. एक दो दिन नहीं बल्कि तकरीबन पूरे ढाई माह बीतने के बाद भी जाँच रपट से धूल झाड़ने की फुर्सत किसी को भी नहीं मिली.
मामला लगभग तीन माह पुराना है. काँग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने इस मामले को उजागर किया था. उनके आरोप एक तरह से उस जाँच रपट में सही पाए गए हैं जोकि अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले कर रही थी.
35 दिन, 2 लाख अथवा 80 टन किताबें बेच दी गईं

कुलजमा 2 लाख नग किताबें रद्दी के भाव बेच दी गईं थी. वजन के हिसाब से यह 80 टन किताबें थीं. यह सब 35 दिनों के भीतर हुआ था.
जब बवाल मचा तो सरकार ने जाँच बैठाई. जाँच का जिम्मा वरिष्ठ आईएएस श्रीमती रेणु पिल्ले को सौंपा गया. तब उम्मीद जताई गई थी कि सरकार पाकसाफ है जो उसने श्रीमती पिल्ले को जाँच अधिकारी नियुक्त किया है.
लेकिन क्या वाकई ऐसा है ? यदि हाँ तो फिर इतने दिनों बाद भी कोई कार्रवाई क्यूं नहीं हुई ? वह भी तब जब शिक्षा विभाग स्वयं मुख्यमंत्री सँभाल रहे हैं.
रेणु पिल्ले. . . एक ऐसी आईएएस अधिकारी जिन्हें कोई भी सरकार अपने मुश्किल वाले दिनों में ही याद करती हैं. पिल्ले ने इस मामले में 1045 पन्नों की जाँच रपट 3 दिसंबर को ही सौंप दी थी.
पिल्ले ने कुलजमा 34 छोटे बडे़ अधिकारियों कर्मचारियों के बयान दर्ज किए थे. इनमें दो आईएएस अधिकारी भी हैं. और तो और सिलयारी की उस पेपर मिल (रियल बोर्ड एँड पेपर मिल) के मालिकों महेश पटेल, विनोद रूढानी के भी बयान हैं जहाँ यह किताबें पाईं गई थी.
आईएएस रेणु पिल्ले मामले की तह तक जाने का पुरजोर प्रयास किया. उन्होंने जीएसटी की मदद लेने में कोई सँकोच नहीं किया.
उन्होंने जाँच में पाया कि 2024 – 25 सत्र की एक लाख किताबें रद्दी के भाव बेच दी गईं. बाकी किताबें 2014 से 2023 तक के सत्र की थीं.
खैर, पिल्ले ने मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित पेपर मिल मालिक, ट्राँसपोर्टर और कबाडि़यों पर भी अपराधिक कृत्य किए जाने की अनुशँसा वाली रपट दी थी. लेकिन कमाल है कि लोक शिक्षण विभाग यानिकि डीपीआई 70 दिनों से भी अधिक समय तक जाँच रपट दबाए बैठे रहा.
क्या डीपीआई पाकसाफ है ?काश मुख्यमंत्री बेदाग हों.
” तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी व एक कर्मचारी को नोटिस तामील कराने प्राप्त हुई थी. 7 दिनों के भीतर जवाब माँगा गया था. 12 फरवरी को प्राप्त होते ही नोटिस तामील करा दी गई है.”
- प्रभाससिंह बघेल
जिला शिक्षा अधिकारी,
राजनांदगाँव

