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रद्दी में पाठ्य पुस्तक : नांदगाँव शिक्षा अधिकारी नौनिहालों का भविष्य बेचने के दोषी !

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नेशन अलर्ट/9770656789

रायपुर.

प्रदेश के राजनांदगाँव सहित कुछेक जिलों के शिक्षा अधिकारी नौनिहालों के भविष्य बेचने के दोषी पाए गए हैं. दरअसल, इन जिलों में पाठ्य पुस्तकों को रद्दी की शक्ल में कबाडी़ के पास बेचा जा रहा था. कायदे की बात यह है कि काँग्रेस के पूर्व विधायक के हँगामें के बाद भाजपा सरकार ने जो जाँच घोषित की थी उसकी रपट आ गई है.

अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले को जब भाजपा सरकार ने जाँच का जिम्मा सौंपा था तब ही यह सँभावना जताई गई थी कि वह दूध का दूध और पानी का पानी करेंगी. हुआ भी कुछ ऐसा ही.

आईएएस पिल्ले ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. आरोप लगाया गया था कि शिक्षा अधिकारियों के साथ मिल कर दो लाख की किताबें रद्दी में बेची गई थी.

रपट करीब ढाई माह पहले सौंपी गई लेकिन आज दिनाँक तक कार्रवाई का कोई पता नहीं है. यह एक तरह से घोटाला ही था.

घोटाले में कुछेक जिले के शिक्षा अधिकारी दोषी पाए गए हैं. जाँच करने वाली पिल्ले की टीम ने दो आईएएस अधिकारियों के अलावा 34 लोगों के बयान लिए थे.

जाँच रपट में उल्लेखित है कि दो लाख सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया. इसमें एक लाख किताबें 2024-25 सत्र की ही है. शेष किताबें शिक्षा सत्र 2014 से 2023 के बीच की है.

1045 पन्नों वाली जाँच रपट बताती है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं. डिपो से निकलने के बाद यह सीधे कबाड़ी की दुकान पर गईं.

जाँच रपट में राजनांदगाँव का नाम शामिल है. यह जिला छोटे बडे़ प्रत्येक घोटाले में कहीं न कहीं शामिल रहा ही है. इसके अलावा जशपुर, धमतरी, सूरजपुर के जिला शिक्षा अधिकारी पुस्तक घोटाला मामले के दोषी बताए गए हैं.

35 दिन में 80 टन किताबें पहुँची . . .

रियल बोर्ड एंड पेपर मिल तब चर्चा में आई जब उसे लेकर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने सनसनीखेज खुलासा किया. उपाध्याय ने रँगे हाथों इस घोटाले को पकडा़ था.

35 दिन के भीतर इस पेपर मिल तक 80 टन किताबें पहुंचाई गई. मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने जांच समिति को बताया कि उनके पास हर साल निगम की किताबें आती हैं, लेकिन हम सत्र नहीं देखते.

यह मिल रायपुर के सिलियारी में स्थित है. वहाँ पर कबाड़ में लाखों किताबें मिली थी. इनमें सरकार की ओर से प्रदेश के सभी शालाओं में बांटी जाने वाली किताबें भी शामिल थी. सभी किताबें इसी सत्र की थी.

पूर्व विधायक उपाध्याय ने फैक्ट्री के सामने धरना देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने किताबें खरीदीं और बिना बांटे ही बेच दीं.

बहरहाल, अब इस पर दोबारा हँगामा मचना तय है. जाँच रपट शासकीय अधिकारियों के खिलाफ आई है. इस पर इतने दिनों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. शिक्षा विभाग आने वाले दिनों में काँग्रेस के निशाने पर होगा यह तय है.