पीएससी स्कैम : कभी भी गिरफ्तार हो सकती हैं आरती वासनिक
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राजनांदगाँव.
सँस्कारधानी का नाम तब डूब जाएगा जब आरती वासनिक नामक महिला को कभी भी गिरफ्त में ले लिया जाएगा. दरअसल, राज्य सरकार की पहल पर वासनिक व एक अन्य को गिरफ्तार करने की अनुमति राज्य के राज्यपाल महोदय दे चुके हैं.
हम अपने पाठकों को बताते चलें कि राज्य की पिछली सरकार के समय राज्य लोकसेवा आयोग यानिकि पीएससी भारी विवादों में रही थी. पीएससी द्वारा आहूत की गईं परीक्षाओं के नतीजे अभी तक सँदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं.
पहले पडा़ था छापा . . .
उल्लेखनीय है कि नांदगाँव निवासी आरती वासनिक नामक महिला, पीएससी की परीक्षा नियंत्रक रह चुकी हैं. उनकी पदस्थापना के समय की ही जाँच, राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा/रही है.
बीते दिनों ही सीबीआई ने वासनिक के स्थानीय आवास पर छापा मारा था. उनसे पूछताछ भी की गई थी लेकिन आज तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया. यही किस्सा ललित गणवीर नामक व्यक्ति का है जोकि पीएससी का उप परीक्षा नियंत्रक बताया जाता है.
वासनिक और गणवीर को अब तक गिरफ्तार नहीं किए जाने के पर्याप्त कारण थे. चूँकि दोनों शासकीय सेवा में हैं और सरकार की अनुमति के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता इस कारण सीबीआई अनुमति मिलने का इंतजार कर रही थी.
जैसे ही राज्य शासन ने अपनी अनुमति की अनुशंसा सी जुडी़ फाइल राजभवन की ओर रवाना की वैसे ही खलबली मच चुकी थी. इस आग में घी डालने का काम अब महामहिम की अनुमति ने कर दिया है.
राजभवन के सूत्र बताते हैं कि महामहिम बाहर प्रवास पर थे. राज्यपाल के प्रवास से लौटते ही फाइल उनके समक्ष पेश की गई थी. राज्यपाल ने वासनिक व गणवीर को गिरफ्तार करने की राज्य सरकार की अनुशंसा स्वीकृत कर ली है.
दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने वासनिक व गणवीर को अपनी गिरफ्त में लेने की अनुमति सीबीआई को दे दी है. अब कभी भी सीबीआई दोनों को गिरफ्तार कर सकती है. यह आजकल में कभी भी हो सकता है.
पहले ही सीबीआई इस मामले में पीएससी के पूर्व अध्यक्ष टीएस सोनवानी को अपनी गिरफ्त में ले चुकी हैं. सोनवानी के साथ ही श्री बजरँग इस्पात एँड पावर के निदेशक श्रवण कुमार गोयल भी अँदर ही हैं.
इनके अलावा सोनवानी के सुपुत्र नितेश ( उप जिलाधीश के पद पर चयनित ), भतीजे साहिल ( उप पुलिस अधीक्षक के पद पर चयनित ), शशांक गोयल, भूमिका कटियार ( पति-पत्नी व उप जिलाधीश के पद पर चयनित ) की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है.
शशांक व भूमिका को पीएससी की चयन सूची में क्रमशः तीसरा और चौथा स्थान मिला था. इनके पिता/ससुर ( श्रवण गोयल ) पर आरोप है कि उन्होंने 45 लाख रुपए का फँड चेयरमैन की पत्नी के नाम से सँचालित एनजीओ को दिए थे.
इस एनजीओ की खास बात यह है कि यही पर नितेश काम करते थे और यहीं का लेखाजोखा ललित गणवीर नामक पीएससी का मुलाजिम देखा करता था. आरती वासनिक को भी सोनवानी परिवार का करीबी बताया जाता है.
वैसे भी आरती वासनिक पहले ही सजा भुगत चुकी हैं. दरअसल, उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी होने के नाते पदोन्नति मिलनी थी लेकिन प्रकरण में फँसे होने के कारण वह नहीं मिल पाई. दूसरे अधिकारी गणवीर को मूलतः पीएससी के ही बताया जाता है.
चूँकि अब जबकि राज्यपाल ने अनुमति दे दी है तो इन्हें किसी भी क्षण सीबीआई अँदर कर सकती है. कानून के जानकार बताते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरह सीबीआई किसी भी शासकीय सेवक को बिना शासन व राज्यपाल की अनुमति के गिरफ्त में नहीं ले सकती. जोकि अब मिल गई है इस सीबीआई शीघ्र एक्शन मोड में होगी.