एसईसीएल मदारी और प्रशासन जोकर !

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कोरबा. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पुनर्वास कार्यों के लिए खम्हरिया गांव के किसानों को उजाड़ने की एसईसीएल की मुहिम का तीखा विरोध किया है. पार्टी ने विस्थापन के खिलाफ जनता को लामबंद करके अभियान/आंदोलन चलाने की घोषणा की है.

एसईसीएल की इस मुहिम के खिलाफ बीते दिनों बड़ी संख्या में प्रभावितों ने जुलूस निकाला. 15 किमी की पदयात्रा करके कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

उल्लेखनीय है कि एसईसीएल द्वारा 1983 में कोयला खनन के लिए इस गांव का अधिग्रहण किया था. अधिग्रहण करते समय प्रभावितों को मुआवजा और रोजदार देने का वादा किया गया था.

ग्राम की भूमि अर्जन के लिए वर्ष 1983 में प्रशासन द्वारा पारित अवार्ड में स्पष्ट कहा गया था कि 20 वर्ष पश्चात मूल खातेदारों को जमीन वापस की जाएगी. आज तक एसईसीएल ने प्रभावितों को मुआवजा और रोजगार देने का अपना वादा पूरा नहीं किया.

अब 40 साल के बाद मूल खातेदारों को उनकी भूमि लौटाने के बजाए जिला प्रशासन की ताकत के सहारे बेदखली के लिए मुहिम चला रहा है. माकपा ने कहा है कि अधिग्रण की शर्तें पूरी न होने के कारण पूरा अधिग्रहण ही अवैध है.

40 सालों बाद ग्रामीणों को बेदखल करना गैर कानूनी है. अवार्ड का उल्लंघन है. माकपा के नेतृत्व में इसका तीखा विरोध किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में प्रभावितों ने बीते दिनों पदयात्रा निकाली थी. 15 किमी पदयात्रा करके कोरबा पहुँचे थे. वहाँ पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था.

जिस पर कलेक्टर ने त्रिपक्षीय वार्ता कर समस्या समाधान का आश्वाशन दिया है. प्रशांत झा, सुमेंद्र सिंह कंवर, गीता गभेल, राजू यादव, रेशम, राजेश, ललित आदि माकपा और किसान सभा नेताओं ने इस पदयात्रा की अगुआई की.

माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि एक गांव के लोगों को उजाड़कर दूसरे लोगों को वहां पुनर्वास देना अपने आपमें हास्यास्पद काम है लेकिन इस हास्यास्पद काम में एसईसीएल मदारी और जिला प्रशासन जोकर की भूमिका अदा कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की साय सरकार को अपने अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम की अमानवीय कार्यवाही पर रोक का निर्देश देना चाहिए. माकपा बेखदली को रोकने सभी संभव उपाय करेगी.

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