ऑर्किड के मनोहारी फूल को निहारना जैसे खुशनुमा वादियों में चले जाने की तरह…
राजनांदगांव। ऑर्किड के मनोहारी फूल को निहारना जैसे खुशनुमा वादियों में चले जाने की तरह है। मुग्ध कर देने वाले विदेशी प्रजाति के इस फूल को लगाने की विधि भी अनोखी है। अभी तक आपने सुना होगा कि मिट्टी में हर तरह के पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन पहली बार यह पता चला कि कोयले में ऑर्किड की खेती की जाती है। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम कोलिहापुरी के साक्षी देवांगन के पॉली हाउस में ऑर्किड के फूलों की खेती पहली बार की जा रही है। यहां के फूल खासतौर पर नागपुर भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी इन फूलों की डिमांड है। डेंड्रोबियम वेरायटी के आर्किड के गुलाबी एवं सफेद फूल राजनांदगांव जिले में आर्किड की पहली फसल है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 16 लाख 88 हजार रूपए का अनुदान दिया गया है। यह हाई वैल्यू क्रॉप है। आर्किड की खेती के लिए 6 लाख 10 हजार रूपए अनुदान दिया जाना है। एक स्टिक की कीमत 10 से 12 रूपए है। अभी आधा एकड़ में खेती की गई है, जिससे लगभग 8-10 लाख रूपए का मुनाफा होगा। आने वाले समय में यह मुनाफा एक एकड़ के हिसाब से 15 से 20 लाख रूपए तक हो जाएगा। स्पि्रंकलर से सिंचाई की जा रही है। सुपरवाईजर राजकुमार ने बताया कि यहां स्थानीय स्तर पर महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। आर्किड की खेती के लिए देखरेख करने का कार्य कर रहे हैं।
शासन की लोकहितैषी योजनाओं से किसानों के जीवन में परिवर्तन आ रहा है और वे आधुनिक कृषि पद्धति को अपना रहे हैं। गौरतलब है कि शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किसान उद्यानिकी फसल ले रहे है और फ्लोरीकल्चर को अपना रहे हैं। कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देशन में जिले में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष तौर पर कार्य किया जा रहा है। सहायक संचालक उद्यानिकी राजेश शर्मा ने बताया कि आधा एकड़ में 22 हजार पौधे लगाए गए हैं। आने वाले समय में यह फसल 6-7 वर्ष चलेगी। कृषक को एक एकड़ के मान से 15-20 लाख रूपए शुद्ध फायदा होगा। उद्यानिकी विभाग से किसानों को पूर्ण सहयोग एवं मार्गदर्शन दिया जा रहा है और कृषकों को लाभ देने के लिए कार्य कर रहे हैं।
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