निगम में फंड का रोना और दूसरी तरफ आयुक्त कर रहे आर्थिक नुकसान : कुलबीर
राजनांदगांव। वरिष्ठ पार्षद कुलबीर सिंह छाबड़ा ने निगम आयुक्त अभिषेक गुप्ता को पत्र लिखकर आपत्ति जताते हुए कहा कि नियम विरूद्ध आपके द्वारा पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम को 2 अगस्त से 8 अगस्त तक धार्मिक कथा के लिए दिया गया था, जिसका किराया-शुल्क की रसीद कटाये बगैर ही आडिटोरियम को 7 दिन के लिए दे दिया गया था। जिसमें सिर्फ ऑडिटोरियम हॉल साउंड सिस्टम अन्य व्यवस्था शुल्क एवं जीएसटी शुल्क का कुल किराया एक दिन का जोड़ने हुए 23275 रूपये आपके विभाग के द्वारा इस कार्यक्रम में देने हेतु लिखी गई, नोटशीट के अभिमत में इस तरह 07 दिवस तक कुल 1,62,925 रूपए निगम कोष में जमा कराया जाना लिखा गया है, जबकि सिर्फ ऑडिटोरियम के हॉल की ही नहीं पूरे आडिटोरियम की जगह का उपयोग हुआ है, जो कि वहां के कई विडियों में दिख रहा है, जिसका किराया निगम द्वारा निर्धारित किये गये दरों के अनुसार लगभग तीन से साढ़े तीन लाख रूपये के करीब आयेगा, जिसे आयुक्त द्वारा छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह किराया-शुल्क को कम दर्शाकर बिना किराया, शुल्क के राशि की रसीद कटवाये निगम कोष में राशि नहीं जमा करवाया जाना अनुमति पत्र क्रमंाक्र 453/राजस्व/न.पा.नि. 01.08.2024 तथा संशोधित अनुमति पत्र 477/राजस्व/न.पा.नि./2024 का दिया जाना प्रमाण है तथा यह घोर आर्थिक अनियमितता है।
श्री छाबड़ा ने आगे कहा कि नगर निगम के किसी भी भवन को किराये में लेने के लिए शहर के नागरिकों, समितियों के कार्यक्रम, शादी, तेरहवीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बैठक एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए पूरा शुल्क नगर निगम में राशि जमा करवाकर भवन को दिया जाता है। इस तरह कहा जाए तो निगम आयुक्त शहरवासियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे है, जबकि शहरवासियों को निगम के भवनों को कार्यक्रम में लेने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और निगम आयुक्त नियम के विपरीत व्यक्ति विशेष लोगों को संरक्षण दिया गया है। साथ ही शासन के समस्त विभागों से अनुमति प्राप्त के दस्तावेज भी निगम द्वारा लिये गये हैं की नहीं यह भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
पार्षद श्री छाबड़ा ने कहा कि एक तरफ शहर के सफाई व्यवस्था एवं शहर के विकास के लिए निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, निगम के कर्मचारियों के वेतन तीन-तीन माह के नहीं मिल पाया है, निगम कमिशनर नगर निगम के पास आर्थिक तंगी का हवाला देकर निगम असहाय है यह बताया जाता है। वहीं दूसरी तरफ लाखों रूपए बिना शुल्क व रसीद लिये भवनों को किराये में देना और नगर निगम में राशि जमा नहीं होना ये इस बात का प्रमाण है कि ये शहर के अव्यवस्थाओं के प्रति एवं नगर निगम के दायित्वों के प्रति आयुक्त अभिषेक गुप्ता गंभीर नहीं है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से निगम की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ने का कार्य किया जा रहा है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि निगम राजस्व विभाग की वर्तमान दिनांक तक कई बैठकें हुई, किन्तु उसके बाद भी ऑडिटोरियम की राशि निगम खाते में नहीं आई है तथा बिना राशि लिए निगम आडिटोरियम को किराये पर देना नियम विरूद्ध है।
श्री छाबड़ा ने आयुक्त को कड़े शब्दों में चेताते हुए कहा कि आप आर्थिक अनियमितता के हो रहे संरक्षण को बंद करें एवं नियम विरूद्ध किये गये कार्य के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर नगर निगम में पूरे आडिटोरियम की राशि जमा करायें एवं सभी कार्यवाही की लिखित छायाप्रति उपलब्ध कराएं। मेरे द्वारा की गई आपत्ति का निराकरण नियमानुसार 30 अक्टूबर तक नहीं होने पर मैं विधिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विधि प्रक्रिया की ओर अग्रसर होउंगा। उक्त विषय को लेकर मेरे द्वारा मुख्य सचिव छग शासन, सचिव छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय एवं संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र के माध्यम से जानकारी भेजी है।
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