बांग्लादेश है तो बस भारत की वजह से! क्या कोई जमाती झुठला सकता है इस सच को ?
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1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान, भारत ने बांग्लादेश को सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान की। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, भारत ने तब लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों को आश्रय दिया था।
आज बांग्लादेश में भले ही यूनुस की अंतरिम सरकार हो, भले ही वहां रजाकारों के आधुनिक और पहले से ज्यादा कट्टर स्वरूप वाली जमाते इस्लामी का उन्मादी राज हो गया हो, लेकिन क्या देश और देश के इतिहास, संस्कृति से सच में प्यार करने वाले उस देश के दुनिया में अस्तित्व में आने और उसके 5 अगस्त 2024 तक के विकास में भारत के अप्रतिम योगदान को भुला सकते हैं?
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जिस प्रकार उन्मादी आतंक फैलाकर अपदस्थ किया गया, वह हैरान करने वाला था, लेकिन क्या एक आम बांग्लादेशी शेख हसीना के पिता बंगबंधु मुजीबुर्रहमान के इस देश को उसके जन्म से लेकर एक देश की शक्ल देने में किए गए त्याग और समर्पण को भुला सकते हैं?
1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने घुटनों पर ला दिया था जिस पाकिस्तान को आज वहां उन्हीं हिन्दुओं की पीढ़ी को और ज्यादा उत्पीड़ित किया जा रहा है जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपनी आहुति दी है। वहां आज जमात के उन्मादी तत्व उन्हीं मठों—मंदिरों को जला रहे हैं जिन्होंने हर आपदा के समय बिना किसी भेदभाव के अपनी जन्म और कर्मभूमि बांग्लादेश को, मत—मजहब के भेद से परे हर वासी को थामा है !
यह दुर्भाग्यपूर्ण वक्त जिन शरारती ताकतों के कारण वहां चल रहा है, उसके बीच क्या एक आम बांग्लादेशी नीचे गिनाए गए उन कामों को झुठला सकता है, जो भारत ने उसके पड़ोसी के नाते उसके हित में किए हैं ?
भारत ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से, उसके विकास और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने बांग्लादेश को विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग प्रदान किया है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। जैसे –
स्वतंत्रता संग्राम में सहायता :
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान, भारत ने बांग्लादेश को सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान की। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, भारत ने तब लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों को आश्रय दिया था।
आर्थिक सहयोग :
बांग्लादेश की आजादी के बाद भारत ने बांग्लादेश को कई अवसरों पर आर्थिक सहायता प्रदान की। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध लगातार आगे बढ़ते गए हैं। भारत ने बांग्लादेश को विभिन्न परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग प्रदान किया है।
संस्कृति और शिक्षा :
भारत ने बांग्लादेश के साथ सांस्कृतिक तथा शैक्षिक संबंधों को भी मजबूत किया है। भारतीय विश्वविद्यालयों में बांग्लादेशी छात्रों को शिक्षा के अवसर प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अनेक कार्यक्रमों को आयोजित किया है जिनके माध्यम से दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की संस्कृति को समझने के अनेक प्रयास करते रहे हैं।
सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग :
भारत बांग्लादेश में सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में भी सहयोग देता रहा है। दोनों देशों ने कई अवसरों पर आतंकवाद, विद्रोह और सीमा पार अपराधों के खिलाफ मिलकर काम किया है। यही सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में मजबूत भूमिका निभाता आ रहा था।
पर्यावरण और जल संसाधन :
भारत और बांग्लादेश ने पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के प्रबंधन में भी सहयोग किया है। दोनों देशों ने गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के जल बंटवारे पर समझौते किए हैं, जिससे जल संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित हुआ है।
भारत और बांग्लादेश के बीच यह सहयोग दोनों देशों के विकास और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण रहा है। यह संबंध भविष्य में भी मजबूत हो, ऐसा भारत सरकार का प्रयास रहा है, इस संबंध में भारत के राजदूत ने पिछले दिनों वहां की अंतरिम सरकार के वरिष्ठ सलाहकार से भेंट भी की है।
भारत के विरुद्ध वहां के मजहबी कट्टर तत्व कुछ भी दुष्प्रचार करें, लेकिन सत्य तो सत्य ही होता है, उसे झुठलाया नहीं जा सकता, पाकिस्तान की वहां देखने में आ रहीं कथित शैतानी चालों से भी नहीं।
(साभार : पाञ्चजन्य)