क्या मियां ! कौन हैं ये, कहाँ से आए, किसने बसाए..?
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शिवम दीक्षित
भारत में अवैध रूप से रह रहे मियां, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की बढ़ती संख्या ने सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है। ये लोग छोटे-मोटे अपराधों से लेकर बड़ी आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर भारी दबाव बना है। अवैध घुसपैठ के जरिए भारत में प्रवेश करने वाले ये तत्व न सिर्फ अपराध बढ़ा रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती बनते जा रहे हैं।
मियां मुस्लिम कौन हैं?
मियां मुस्लिम असम और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बसे हैं। ये लोग बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से आए थे, असम के मूल निवासी इन्हें मिया कहकर ही पुकारते हैं।
1950 के दशक में विभाजन के बाद और 1971 में बांग्लादेश युद्ध के समय मिया बांग्लादेश से भागकर भारत के असम में बस गए। बाद के दशकों में अवैध तरीके से कई लोग बांग्लादेश से असम और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में बस गए।
इस समुदाय को अक्सर ‘मियां मुस्लिम’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। इनकी आबादी में बढ़ोतरी और अवैध प्रवासन के आरोपों को लेकर समय-समय पर असम की राजनीति में मुद्दा बना रहा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में इस समुदाय और अवैध प्रवासियों पर सवाल उठाते हुए उनकी बढ़ती संख्या को राज्य की सुरक्षा, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय स्थिति के लिए खतरनाक बताया है। मियां मुस्लिमों ने स्थानीय असमिया लोगों के रोजगार पर भी कब्जा किया है।
अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम : किस राज्य में बसे हैं?
भारत में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की समस्या लगातार गंभीर रूप लेती जा रही है। खासतौर से पूर्वोत्तर के राज्यों और हिमालयी क्षेत्र में इनकी उपस्थिति एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है।
- असम : असम में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या लाखों में है। राज्य की डेमोग्राफी में काफी बदलाव आया है, खासतौर पर निचले असम में।
- पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल में भी बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या काफी बड़ी है। इनकी उपस्थिति ने राज्य की जनसांख्यिकी को बहुत प्रभावित किया है, खासकर सीमावर्ती जिलों में।
- बिहार : बिहार में भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की एक बड़ी संख्या है, हालांकि यह समस्या असम या पश्चिम बंगाल जैसी नहीं है। राज्य में कई लाख बांग्लादेशी मुसलमान बसे हुए हैं।
- उत्तर प्रदेश : यूपी में भी अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या की समस्या बनी हुई है।
- जम्मू-कश्मीर : जम्मू में खासकर रोहिंग्या मुसलमानों की बड़ी संख्या बसी हुई है। जम्मू की डेमोग्राफी पर इनकी उपस्थिति का सीधा असर देखा जा सकता है।
- उत्तराखंड, हिमाचल और अन्य हिमालयी राज्य : उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अन्य हिमालयी राज्यों में भी अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान हैं। खासतौर पर शहरी क्षेत्रों और पर्यटन स्थलों पर इनकी उपस्थिति पाई गई है।
भारत में बढ़ते अपराधों में इनकी भूमिका
अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या भारत में बढ़ते अपराधों में संलिप्त हैं। कई मामलों में ये प्रवासी छोटे-मोटे अपराधों से लेकर बड़े आतंकवादी गतिविधियों में भी संलिप्त पाए गए हैं।
खासतौर पर:
- मानव तस्करी : बांग्लादेश से भारत में होने वाली अवैध घुसपैठ में मानव तस्करी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। महिलाओं और बच्चों को अवैध रूप से भारत में लाकर विभिन्न गतिविधियों में लिप्त किया जाता है।
- नशीली दवाओं का कारोबार : अवैध बांग्लादेशी प्रवासी खासकर नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल पाए गए हैं। असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में कई बार यह देखा गया है कि अवैध प्रवासी मादक पदार्थों के व्यापार में लिप्त होते हैं।
- आतंकवादी गतिविधियां : पश्चिम बंगाल, असम और जम्मू में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां अवैध प्रवासियों को आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।
जिहाद और अपराध की आड़ में गतिविधियां
बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों के खिलाफ सबसे बड़ा आरोप यह है कि वे जिहाद के नाम पर भारत में विभिन्न आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इनमें से कई प्रवासियों पर आतंकी संगठनों से जुड़े होने और भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का भी आरोप है।
गंभीर चुनौती बने मियां मुस्लिम
भारत में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। हिमंत बिस्वा शर्मा जैसे नेताओं के बयानों ने इस मुद्दे को और प्रमुखता से सामने रखा है। अवैध प्रवासन से संबंधित अपराध, आतंकवाद और डेमोग्राफी में बदलाव जैसी समस्याओं ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को गहरे तक प्रभावित किया है। यह आवश्यक है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाएं ताकि देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन को कायम रखा जा सके।
(साभार पाञ्चजन्य)