नेहा अवस्थी ने चिवनिंग स्कॉलरशिप पाकर शहर का नाम किया रौशन
राजनांदगांव। संस्कारधानी नगरी के नाम को दिल्ली से लेकर नेपाल और इंग्लैंड तक में पहुंचाने वाली शहर की बेटी नेहा अवस्थी ने उपलब्धियों की लंबी सूची तैयार कर दिखाई है। अपनी बोर्ड परीक्षा सफलता के बाद आर्किटेक्ट में इंजीनियरिंग कर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। रामगढ़ के खंडहरों पर शोध कार्य कर उन्होंने अपने अध्ययन को सार्थक कर दिखाया। नीति आयोग में सेवाएं देते हुए उन्होंने अनेक प्रोजेक्ट में सकारात्मक भूमिका निभाई। चिवनिग स्कॉलरशिप प्राप्त कर उन्होंने देश में राजनांदगांव का परचम लहराया।
नगर के प्रतिष्ठित अवस्थी परिवार की बेटी नेहा अवस्थी स्व. सुरेंद्रनाथ-शोभा अवस्थी की सुपौत्री एवं संजीव-ममता अवस्थी की पुत्री हैं। नेहा अवस्थी ने अपना अध्ययन पूरा करने के बाद सन 2021 में नीति आयोग में सेवाएं देना शुरू किया। हमसे चर्चा के दौरान नेहा ने बताया कि नीति आयोग में रहते हुए नेपाल में हिमालय की तबाही को बचाने के लिए 8 देशों के प्रतिनिधियों के साथ काम किया। यह अत्यंत गौरव का विषय है कि उस दल में नेहा भी थी, जिसने भार तवर्ष का प्रतिनिधित्व किया। नीति आयोग में रहते हुए ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स में मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग अर्बन अफेयर्स के अंतर्गत दिल्ली के मास्टर प्लान के लिए पांच वर्षों तक काम किया। मास्टर प्लान का उक्त कार्य अभी प्रगति पर है जो 2041 तक चलेगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश के 100 पिछड़े शहरों की नई बसाहट एवं साज-सज्जा के लिए एक्सपेरिमेंटल सिटीज प्रोग्राम की 100 करोड़ के बजट वाली स्कीम में भी भूमिका निभाई।
अभी जुलाई के अंतिम सप्ताह में उन्होंने अपने एक बड़े लक्ष्य को साधने के बाद घर लौटने पर हमसे मुलाकात की। उन्होंने यूके सरकार की चिवनीग स्कॉलरशिप को हासिल कर इंग्लैंड में एक वर्ष तक पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। सभी विषयों में एक्सीलेंट प्रदर्शन के साथ नेहा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई को सार्थक कर दिखाया। नेहा ने चर्चा के दौरान बताया कि यूके सरकार की इस स्कॉलरशिप को पाने के लिए 192 देश के लोग आवेदन करते आ रहे हैं। भारत वर्ष से 44 लोग इंग्लैंड गए थे, जिसमें अर्बन प्लानिंग क्षेत्र से नेहा अकेली थी। यूके सरकार पिछले 40 वर्षों से स्कॉलरशिप देती आ रही है, इसमें पढ़ाई से लेकर खाने-पीने, रहने के साथ आने-जाने का मिलाकर 90 लाख से 1 करोड़ तक की स्कॉलरशिप दी जाती है। इंग्लैंड में अध्ययन पूरा करने के उपरांत डिग्री सेरेमनी में वोट ऑफ थैंक्स के लिए उन्हें मिले अवसर को वे अपने जीवन का स्वर्णिम पल मानती हैं। पूरे विश्व से चुने हुए लोग ही इसके पात्र हो पाते हैं। नेहा का कहना है कि उनकी उपलब्धि में माता-पिता का विशेष योगदान रहा है, उन्हें हमेशा परिजनों से मोटिवेशन मिलता रहा है। विवाह के बाद उनके पति एवं ससुराल पक्ष का योगदान भी सराहनीय रहा है।
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