वेड़मा ने खो दिया अपना मार्गदर्शक, नहीं रहे मुंडरा
नेशन अलर्ट/9770656789
जगदलपुर. बस्तर की संस्कृति में पले-बढे़ मुंडरा सोरी अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्हें आदिवासियों को सही राह दिखाने वाला माना जाता है.
उल्लेखनीय है कि मुंडरा, लंबे समय तक अपने गांव वेड़मा के सरपंच रहे थे. वेड़मा गाँव दंतेवाडा़ जिले में आता है.
नक्सलियों ने मार दी थी गोली
उनकी आदिवासियों में बढ़ती लोकप्रियता से तंग आकर नक्सलियों ने उनके पैर में गोली मार दी थी. यह वर्ष 2011 की बात है. तब से उन्हें चलने में दिक्कत होती थी.
उनके नजदीकी रहे हिमांशु कुमार के अनुसार वह छत्तीसगढ़ की आदिवासी नेता सोनी सोरी के पिता थे. जब सरकार ने सोनी सोरी को झूठे मुकदमें में जेल दाखिल किया था तब घायल होने के बावजूद मुंडरा अपनी सुपुत्री से मिलने जाया करते थे.
उस समय को याद करते हुए सोनी सोरी बताती हैं कि पिताजी बैसाखी के सहारे सलाखों के पार धूप में बहुत देर तक खड़े रहते थे. मैं कहती थी बाबा आप थक जाओगे. . . आप चले जाओ!
सोनी के मुताबिक इस पर वह कहते थे “नहीं तू मुझे देख और तू भी ताकतवर बन. . . और अन्याय के खिलाफ लड़.” सोनी ने कहा कि पिता ही उनकी ताकत रहे हैं.
बहरहाल, हिमांशु कुमार के मुताबिक आज आदिवासियों ने अपना एक विश्वस्त मित्र खो दिया है.वे कहते हैं कि अक्सर उनकी भेंट मुलाकात मुंडरा सोरी हुआ करती थी. उन मुलाकातों को याद करते हुए हिमांशु कहते हैं वह हमेशा ही उन्हें बहुत प्यार दिया करते थे.