फेडरेशन ने कैशलेस चिकित्सा योजना का प्रस्ताव पुनः राज्य शासन को दिया
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारियों एवं उनके परिवार के लिए कैशलेस चिकित्सा योजना को लागू करने संबंधी प्रस्तावित योजना को पुनः मुख्यमंत्री एवं मुख्यसचिव को स्मरण-पत्र दिया है। गौरतलब है कि फेडरेशन विगत 5 वर्षों से राज्य शासन से पत्राचार कर रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, प्रांतीय प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, जिला संरक्षक मुकुल साव, जिला अध्यक्ष पीआर झाड़े, पीएल साहू, जितेंद्र बघेल, बृजभान सिन्हा, सीएल चंद्रवंशी, वीरेंद्र रंगारी, सोहन निषाद, अब्दुल कलीम खान, भूषण साव, स्वाति वर्मा, नवीन कुमार पांडे, उत्तम डड़सेना, देवचंद बंजारे, शिव प्रसाद जोशी, खोम लाल वर्मा, हेमंत पांडे, लीलाधर सेन, पुष्पेंद्र साहू, संजीव मिश्रा, हेमंत दोदिलकर, श्रीमती संगीता ब्यौहरे, श्रीमती अभिषिक्ता फंदियाल, सुधांशु सिंह, पायल देवांगन, वंदना पानसे, शिरीष कुमार पांडे, रमेश साहू, राजेश शर्मा, नरेश प्रसाद दुबे एवं रानी ऐश्वर्य सिंह ने बताया कि आकस्मिक दुर्घटना अथवा गंभीर बीमारी के स्थिति में तत्काल इलाज की जरूरत होती है। शासकीय सेवक के साथ हादसा-दुर्घटना होने की स्थिति में परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। परिवार को संपत्ति गिरवी रखकर अथवा कर्ज लेकर इलाज कराने बाध्य हो जाता है।
उन्होंने बताया कि कर्मचारी एवं परिवार के दुःख-दर्द को समझते हुये छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा (प्रांताध्यक्ष राजपत्रित अधिकारी संघ) एवं राजेश चटर्जी सचिव (प्रांताध्यक्ष प्रदेश शिक्षक फेडरेशन) ने अधिकारी-कर्मचारियों तथा उनके परिवार के लिए कैशलेस योजना को मुख्यमंत्री संजीवनी योजना के नाम से प्रस्तावित किया है, जो कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा कर्मचारी हित में बहुत बड़ा कल्याणकारी योजना होगा। उन्होंने बताया कि योजना को लागू करने से राज्य शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, लेकिन फर्जी मेडिकल देयकों के भुगतान एवं भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगा। उपचार नियमों में बाधाओं का सरलीकरण होगा। साथ ही, आर्थिक बचत भी होगा। उन्होंने बताया कि इलाज हेतु रेफेर करने की जटिल प्रक्रिया तथा मेडिकल देयकों के कार्योत्तर स्वीकृति में भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगा। यह योजना छत्तीसगढ़ सरकार का अपने कर्मचारी-अधिकारियों के लिए संवेदनशील होने का परिचायक होगा।
प्रस्तावित कैशलेस योजना में छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का राज्य के भीतर एवं बाहर मान्यता-अधिकृत चिकित्सालय में इलाज होगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार, प्रत्येक शासकीय सेवक के कार्मिक संपदा के अनुसार संजीवनी कार्ड जारी करेगा। जिसमें कर्मचारी-अधिकारी एवं परिवार का पूर्ण विवरण रहेगा। गंभीर बीमारी अथवा दुर्घटना की स्थिति में राज्य शासन द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सालय में बिना अग्रिम राशि जमा किये इलाज प्रारंभ हो जायेगा। जिसका प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा ऑनलाइन भुगतान द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इलाज की पुष्टि थर्ड पार्टी एडमिनिस्टे्रटर द्वारा संभव है।
उन्होंने बताया कि राज्य शासन को अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाने एवं सुपर स्पेशियलिटी/मुख्य चिकित्सालयों में इलाज हेतु छत्तीसगढ़ चिकित्सा नियमों में परिवर्तन कर विभागीय अनुमति एवं रेफेर की प्रक्रिया को समाप्त करना होगा, जिसकी प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है। उन्होंने बताया कि 8 जून 1973 भाग 4 (ग) पृष्ठ 279 से 533 तक मध्यप्रदेश राज्य पत्र में वर्णित चिकित्सा सुविधा नियम में परिवर्तन करना होगा, इससे राज्य शासन का अपने कर्मचारी-अधिकारी के प्रति संवेदनशीलता परिलक्षित होगी।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक कर्मचारी-अधिकारी को मुख्यमंत्री संजीवनी कार्ड जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर से जारी होगा, जो कि उक्त कर्मचारी का पहचान पत्र भी होगा। चिकित्सालयों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेस चिकित्सा परिचर्चा नियम 1958 अथवा पश्चात के नियम के अंतर्गत निर्धारित प्रतिपूर्ति व्यय सीमा अनुसार ही राज्य शासन भुगतान करेगा। जितना कि मेडिकल बिल पारित होता है। शासकीय कर्मचारी, अधिकारी को विपत्ति के समय आर्थिक संकट से उबारने के दृष्टिगत इस योजना को कर्मचारी हित में लागू किया जाना चाहिये।