बघेल का मास्टर स्ट्रोक, दर्शन को मजबूर हुए भागवत
नेशन अलर्ट/रायपुर.
भगवान श्रीराम की माताश्री को समर्पित चंदखुरी का वह मंदिर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है जहां पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत दर्शन करने को मजबूर हुए थे। दरअसल, उन्हें माता कौशल्या के इस मंदिर के दर्शन के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिए गए नेवते पर आमंत्रण विवाद ने जाने लाचार किया था।
उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख भागवत अभी हाल ही में तकरीबन एक सप्ताह के अपने प्रवास पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर आए हुए थे। उनके आने की खबर जैसे ही सार्वजनिक हुई तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने भागवत को राम के ननिहाल चंदखुरी में स्थित माता कौशल्या मंदिर के दर्शन सहित अपनी सरकार द्वारा बनवाए गए गौठानों और शासकीय आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के भ्रमण के लिए आमंत्रित किया था।
चूंकि आरएसएस भाजपा का पितृ संगठन माना जाता है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है इसकारण लोगों को लग रहा था कि मोहन भागवत शायद ही ऐसे किसी आमंत्रण को स्वीकारेंगे। बीते सोमवार को ही जब पत्रकारों से बातचीत करते हुए मनमोहन वैद्य ने लिखित में आमंत्रण नहीं मिलने की बात कही तो कांग्रेस एक बार फिर एक्टिव हो गई।
दरअसल, उस समय मुख्यमंत्री रायगढ़ जिले के प्रवास पर थे। जब उनसे वैद्य द्वारा कही गई बात को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने तपाक से कहा कि उन तक लिखित में आमंत्रण भी पहुंच जाएगा। इसके बाद सोमवार शाम को रायपुर शहर जिलाध्यक्ष गिरीश दुबे दो पन्नों का लिखित निमंत्रण पत्र लेकर उस जैनम मानस भवन माना पहुंच गए जहां आरएसएस प्रमुख बैठक में व्यस्त थे।
पहले सोशल मीडिया में आमंत्रण और बाद में लिखित आमंत्रण देकर एक तरह से कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत के लिए विकट परिस्थिति निर्मित कर दी थी। यदि वह नहीं जाते तो कहलाता कि राम की बात करते हैं लेकिन राम अथवा उनकी माताश्री के दर्शन को भी नहीं जाते हैं। इसे आगे चलकर कांग्रेस कैसा और कौन सा रूप देगी, जनता के बीच क्या प्रतिक्रिया होगी यह सब सोच समझ कर अंतत: दर्शन करने में ही भलाई समझी गई।
माना जा रहा है कि इसी उधेड़बुन से उभरकर संघ प्रमुख डॉ भागवत ने प्रांत संघचालक डॉ.पूर्णेंदु सक्सेना, महानगर संघचालक महेश बिड़ला के साथ मंगलवार दोपहर चंदखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर के दर्शन पूरे भक्तिभाव के साथ कर लिए। डॉ.भागवत ने माता कौशल्या के साथ ही भगवान श्रीराम के बालरूप की पूरे विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना भी की।
इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मास्टर स्ट्रोक कम से कम कांग्रेसी तो मान ही रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह के शब्दों में संघियों को माता कौशल्या के मंदिर जाने के लिए मुख्यमंत्री ने बाध्य कर दिया। माता कौशल्या से धर्म की दुकान चलाने वाले पाखंडियों को माफ करने की विनती करते हुए वे पूछते हैं कि राम के नाम पर वोटों की भीख मांगने वाले लोगों में इतनी नफरत क्यों है? इसे स्पष्ट करते हुए सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री के मौखिक आमंत्रण के बाद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने जब लिखित आमंत्रण दिया तो दर्शन को भागवत बाध्य हो गए थे।