जितने दल उतने शंकराचार्य..!
नेशन अलर्ट/राजनांदगांव।
ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ एवं शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राजनांदगांव में कहा था कि जितने दल उतने शंकराचार्य पैदा कर दिए गए हैं। स्वरूपानंद जी ने नांदगांव प्रवास के दौरान राम मंदिर आंदोलन पर भी खुलकर बात की थी। उन्होंने श्रीराम को सभी का आराध्य बताते हुए मंदिर निर्माण होने की जरूरत के साथ ही इस विषय पर भाजपा-विहिप की कटु आलोचना भी की थी।
उल्लेखनीय है कि तब पूर्व विधायक उदय मुदलियार जिंदा थे। एक रोज श्री मुदलियार के निवास पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आने की खबर मिली थी। चूंकि प्रवास रात्रि में तय था इसकारण राजनांदगांव का पत्रकार जगत अगले दिन दोपहर में शंकराचार्य जी से मिलने और बातचीत करने की तैयारी में लगा हुआ था लेकिन शंकराचार्य जी दोपहर में ही अगले पड़ाव के लिए निकल चुके थे।
सुबह मिला था आशीर्वाद
मुदलियार निवास में शंकराचार्य जी ने रात्रि रूकने के बाद सुबह सुबह अपनी दैनिक पूजा पाठ के बाद आए हुए भक्तों को आशीर्वाद दिया था। इसी दौरान शंकराचार्य जी से मिलकर बातचीत करने का निर्णय लिया गया था। तब एकलौते पत्रकार के रूप में जो मौजूद था उसने शंकराचार्य जी से कई गंभीर सवाल किए थे।
एक सवाल यह था कि देश में जब चार पीठ हैं तो चार ही शंकराचार्य होने चाहिए लेकिन बीसों शंकराचार्य के नाम क्यूं सुनाई देते हैं? इस पर शंकराचार्य स्वरूपानंद जी ने इस पत्रकार से कहा था कि दरअसल, देश में अपने अपने शंकराचार्य बनाने का काम कर राजनीतिक दल धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं।
उस वक्त प्रयागराज का कुंभ निपटा था जिसमें एक कथित शंकराचार्य जी के साथ कुंभ के मेला स्थल में मारपीट हो गई थी। इस खबर को राष्ट्रीय स्तर की एक पत्रिका ने प्रमुखता से छापा था। इस पर भी जब शंकराचार्य जी से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है। शंकराचार्य जी से पूछा गया था कि आपके पास किस आधार पर दो पीठ की जिम्मेदारी है तो उन्होंने कहा था कि एक पीठ की अतिरिक्त जिम्मेदारी बतौर प्रभार मैं संभाल रहा हूं।
कल हुआ था निधन
उल्लेखनीय है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी का निधन परमहंसी गंगा आश्रम परिसर झोतेश्वर में हो गया था। आज दोपहर पूरे विधि विधान पूर्वक उनकी पार्थिव देह के दर्शन करने के बाद उनके शिष्यों, साधु संतों की मौजूदगी के बीच उन्हें भू समाधि दी गई। शैव, नाथ, दशनामी, अघोर व शाक्त परंपरा को मानने वाले साधु संतों को भू समाधि ही दी जाती है।
आज उनके दिव्य दर्शन के लिए छोटे बड़े कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता-नेता उपस्थित हुए थे। आज दोपहर में ही साधु संतों की उपस्थिति के बीच शंकरचार्य जी की पार्थिव देह के सामने उनके उत्तराधिकारी की भी घोषणा कर दी गई। द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख स्वामी सदानंद को बनाया गया है जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।