परेशानी में छग के गृहमंत्री और पुलिस महानिदेशक
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्रालय के लिए बुरी खबर आई है। एक ओर गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के स्वेच्छानुदान की जांच लोक आयोग से कराने का निर्देश हुआ है तो दूसरी ओर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एएन उपाध्याय को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का नोटिस मिला है। पैकरा और उपाध्याय के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार भी दबाव में महसूस हो रही है।
सबसे पहली खबर, गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के संदर्भ में। आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी द्वारा आय से अधिक संपत्ति के मामले में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा पर अदालती कार्रवाई की गई। स्वेच्छानुदान की राशि का गलत इस्तेमाल करने और आय से अधिक संपत्ति के मामले की शिकायत लोक आयोग में दर्ज कराने को कोर्ट ने कहा है।
हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट
हाईकोर्ट में दर्ज याचिका में गृहमंत्री पैकरा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप भी लगाए गए थे। इसके बाद दिनेश सोनी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। पुलिस की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्वक बताते हुए दिनेश सोनी की ओर से पीएन दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ले जाने का निर्देश दिया।
हालांकि, अंबिकापुर के वकील दिनेश सोनी ने पहले हाईकोर्ट में ही याचिका लगाई थी। वहां से खारिज होने के बाद सोनी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में मामला लगाने का निर्देश दिया था। इसके बाद उन्होंने फिर हाईकोर्ट में दरख्वास्त की। गृह मंत्री के खिलाफ कोर्ट जाने का खामियाजा सोनी को तब भुगतना पड़ा जब पुलिस ने मुकदमा उनके खिलाफ दर्ज किया।
एनएचआरसी को जवाब देंगे डीजीपी
इधर, छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) एएन उपाध्याय को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( एनएचआरसी) को नोटिस का जवाब देना पड़ेगा । दरअसल एनएचआरसी ने बस्तर के सुकमा जिले में मानवाधिकार हनन के एक मामले में डीजीपी उपाध्याय को नोटिस भेजा है।
ज्ञात हो कि गत 2 अप्रैल को सुकमा जिले के चिंतागुफा क्षेत्र में एक घर में कथित तौर पर घुसे पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवानों द्वारा एक परिवार से मारपीट व प्रताडऩा की गई थी। आरोप है कि एक 15 वर्षीय लड़की से गंभीर बदसलुकी की गई थी। इस मामले की शिकायत भारतीय महिला फेडरेशन तथा दिल्ली की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर सहित कुछ अन्य लोगों ने की थी।
यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब राज्य पुलिस पहले ही मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन के आरोप में राष्ट्रीय आयोग के कटघरे में है। आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव को भी नोटिस भेजा है।
कब दिया नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 11 अप्रैल को यह नोटिस जारी किया है। यह घटना सुकमा जिले के पटेल पारा की है। 2 अप्रैल को तड़के 4 बजे पुलिस व सीआरपीएफ के लोग एक घर में गए थे। पुलिस के घर में रहने वाले एक युवक की तलाश थी, लेकिन वह नहीं मिला।
पुलिस ने घर में सो रही 15 साल की बहन व उसकी मां से मारपीट व गंभीर बदसलूकी की। आरोप हैं कि लड़की के साथ रेप किया गया लेकिन दूसरी ओर यह जानकारी भी आ रही है कि लड़की ने पुलिस के दबाव में बयान बदल दिया है।
सूत्रों के अनुसार मामला सामने आने के बाद से पुलिस ने लड़की व उसकी मां को अपने कब्जे में कर लिया है। इसके बाद से लड़की ने बयान बदला है। यह बात मामला उठाने वाले संगठनों के लोग कह रहे है।
हाल ही में यह दूसरा मामला है जब राज्य पुलिस मानवाधिकार आयोग के कठघरे में आई है। इससे पहले बस्तर के कुछ जिलों में 17 आदिवासी महिलाओं के साथ अनाचार के आरोप में पुलिस व केंद्रीय बल आरोप के कटघरे में है। इस मामले का जवाब देने में राज्य पुलिस की आयोग के सामने बड़ी किरकिरी हुई थी। बस्तर में पुलिस प्रशासन में बदलाव के बाद भी हालात बदलते नजर नहीं आ रहे हैं।