क्या भाजपा से छिटके साहू समाज को पार्टी से जोड़ पाएंगे साव ?
» साय को मलाल रहेगा कि आदिवासी दिवस के दिन हटाए गए
नेशन अलर्ट/रायपुर।
प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है। वह भले ही मुद्दों के मामले में खाली हाथ नजर आती हो लेकिन उसने अपनी तरकश में तीर सहेजने शुरू कर दिए हैं। संगठन स्तर पर हो रहा एक के बाद एक परिवर्तन इस कड़ी की ओर इशारा भी करता है तो कुछ सवाल भी पैदा करता है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बतौर बिलासपुर के सांसद अरूण साव का चयन किया है। वह अपने पूर्ववर्ती विष्णुदेव साय की जगह लेने जा रहे हैं। विष्णुदेव साय को इस बात का मलाल रहेगा कि उन्हें हटाया भी गया तो आदिवासी दिवस के दिन। हालांकि इस विषय पर कांग्रेस ने कटाक्ष करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा और भाजपा के आदिवासी प्रेम पर सवाल खड़े किए।
बहरहाल अब बात अरूण साव की… 1968 के नवंबर माह की 25 तारीख को पैदा हुए अरूण साव बीकॉम एलएलबी तक शिक्षित हैं। 1996 से 2000 तक उन्होंने मुंगेली जिला न्यायालय में वकालत की थी और उसके बाद वह उच्च न्यायालय बिलासपुर की ओर अग्रसर हो गए थे। उप शासकीय अधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता, उप महाधिवक्ता के पदों पर रह चुके अरूण 20 साल तक निर्विरोध सरपंच भी चुने गए थे।
पैतृक गांव लोहडि़या एवं मुंगेली में स्कूली शिक्षा अर्जित करने के बाद उन्होंने एसएनजी कॉलेज मुंगेली से ही बीकॉम किया था। कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय बिलासपुर से वह एलएलबी शिक्षित हुए हैं। कॉलेज स्तर पर कक्षा प्रतिनिधि, साहित्यिक सचिव, सांस्कृतिक सचिव रह चुके अरूण साव 1990 से 1995 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे।
अभाविप के अध्यक्ष रहे
साव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की मुंगेली इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं। अभाविप में ही उन्होंने बिलासपुर विभाग एवं संभाग प्रमुख, प्रांत सहमंत्री, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य का भी दायित्व निभाया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बचपन से जुड़े रहे साव प्राथमिक वर्ग प्रशिक्षित हैं। 1996 से 2000 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे थे।
भाजयुमो में उन्होंने मुंगेली ग्रामीण मंडल अध्यक्ष, बिलासपुर जिला महामंत्री, बिलासपुर जिला उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश महामंत्री, छत्तीसगढ़ प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व निभाया है। इसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी में वार्ड इकाई अध्यक्ष से लेकर मंडल कार्यसमिति सदस्य सहित जिला, प्रदेश एवं राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य की जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
जब भाजपा ने पूरे प्रदेश के संसदीय क्षेत्रों में नए प्रत्याशी उतारे थे तब वे बिलासपुर से प्रत्याशी बने थे और उन्होंने चुनाव जीत कर राष्ट्रीय इकाई के भरोसे को साबित भी किया था। 2019 से वह बिलासपुर लोकसभा सदस्य के नाते कोयला, खान एवं खनिज संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सदस्य होने के साथ-साथ उर्जा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य हैं।
समाज की राजनीति से जुड़े रहे
ऐसा नहीं है कि साव सिर्फ आरएसएस अथवा उसके अनुषांगिक संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने समाज की राजनीति में भी न केवल काम किया है बल्कि समाज में उन्हें बेहद जिम्मेदार माना जाता है। युवा प्रकोष्ठ के तहसील सचिव रह चुके साव साहू समाज के तहसील अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, प्रांतीय सह संयोजक के अलावा प्रदेश साहू संघ के संरक्षक सदस्य का दायित्व संभाल चुके हैं।
उनके प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चुने जाने के पीछे साहू समाज के मतदाताओं को फिर से भाजपा से जोड़ना एक रणनीति माना जा रहा है। दरअसल, साहू समाज के मतदाता पहले ताराचंद साहू और उसके बाद ताम्रध्वज साहू के उभार के चलते भाजपा से छिटक गए थे जिन्हें एक बार फिर से पार्टी की ओर आकर्षित करने साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है ऐसा छत्तीसगढ़ की राजनीति पर नजर रखने वाले मानते हैं। अब देखना है कि वह इस परीक्षा में किस हद तक सफल हो पाते हैं।