डीपीसी में आईपीएस मुकेश गुप्ता का वफादार कौन ?
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विशेष संवाददाता
रायपुर.
डीपीसी के बाद आईपीएस के प्रमोशन हो गए लेकिन एक प्रश्न खडा़ हो गया है. हर कोई जानना चाहता है कि सस्पेंडेड आईपीएस मुकेश गुप्ता का वफादार कौन है जिसने डीपीसी में आए प्रस्ताव पर प्रतिकूल टिप्पणी लिखी है.
अखिल भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस ) के छत्तीसगढ़ में पदस्थ तीन वरिष्ठ अधिकारी संजय पिल्ले, आरके विज व अशोक जुनेजा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ( एडीजी ) से महानिदेशक ( डायरेक्टर जनरल यानिकि डीजी ) के पद पर किंतु-परंतु के बावजूद पदोन्नत हो गए हैं.
क्यूं चर्चा में आई डीपीसी ?
विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) रविवार को अचानक चर्चा में आ गई. सोशल मीडिया में जो खबरें चलाई गईं उससे डीपीसी को लेकर सवाल जवाब होने लगे.
न्यूज़ पोर्टल में चली इन खबरों को देखने के बाद सस्पेंडेड आईपीएस मुकेश गुप्ता के उस वफादार को ढूंढा जाने लगा है जिसने आईपीएस अशोक जुनेजा की राह में रोडे़ अटकाने की कोशिश अंतिम समय तक की. ऐसा सिर्फ़ मुकेश गुप्ता के लिए जगह खाली रखने किया गया.
दरअसल, संजय पिल्ले और आरके विज की पदोन्नति में किसी तरह की परेशानी नहीं थी. डीजी के तीसरे पद के लिए दो दावेदार थे जिनमें से वरिष्ठ होने के बावजूद अपने कर्मों के चलते निलंबन झेल रहे मुकेश गुप्ता के नाम पर पेंच फंसाने की कोशिश की गई.
गुप्ता से नीचे अशोक जुनेजा का नाम था. डीपीसी के किसी मेंबर ने अपनी तरफ से बात रखी भी कि मुकेश गुप्ता को नजरअंदाज करके अशोक जुनेजा को डीजी प्रमोट करने में वैधानिक दिक्कतें आएंगी.
ऐसा नहीं है कि इस तरह की कोशिश पहले नहीं की गई हो. इसके पहले हुई डीपीसी के समय मुकेश गुप्ता के वकील का नोटिस आ गया था. नोटिस को गिनाते हुए तब भी एक सदस्य ने प्रोसिडिंग पर साईन नहीं किए थे.
मतलब किसी न किसी को तो आईपीएस अशोक जुनेजा के डीजी बन जाने अथवा मुकेश गुप्ता के छूट जाने से दिक्कत हो रही है. यदि नहीं तो क्यूं कर पहले हुई डीपीसी में मुकेश गुप्ता की नोटिस का हवाला देते हुए प्रोसिडिंग पर साईन नहीं किए गए और अब हुई डीपीसी में वैधानिक दिक्कत गिनाने का बहाना किया गया.
दोनों ही डीपीसी में मुकेश गुप्ता का सहयोग करने का प्रयास उनके वफादार द्वारा किया गया. दोनों बैठकों के समय मुकेश गुप्ता के नाम पर ही जोर दिया गया. वह तो भला हो सरकार का कि उसके निर्देश पर मुकेश गुप्ता के नाम का बंद लिफाफा तैयार कर अशोक जुनेजा के नाम पर मुहर लगा दी गई.
बहरहाल, अब अधिकारियों – कर्मचारियों के बीच एक सवाल तैर रहा है कि मुकेश गुप्ता का वफादार साथी वह कौन था जिसने अशोक जुनेजा की पदोन्नति पर किंतु-परंतु करने की कोशिश की क्यूं कि वह सस्पेंडेड आईपीएस के लिए एक स्थान खाली रखवाना चाहता था ?