भोपाल।
क्या यशोधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री की टीम से इस्तीफा देंगी? यह सवाल इन दिनों मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इधर, इस्तीफे की आशंका के बाद डैमेज कंट्रोल करने की कवायद की जा रही है लेकिन बात है कि बन नहीं रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पॉलिटिकल कॅरियर में पहली बार विवादित बयान दिया और उसी में वो बुरी तरह से फंस गए। मप्र की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया काफी नाराज हैं। उन्होंने शिवराज सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफे का मन बना लिया है।
हाथ पैर फूल गए
यह खबर सीएम हाउस पहुंचते ही शिवराज सिंह के मैनेजर्स के हाथ पांव फूल गए हैं। यदि अटेर में मतदान से पहले इस्तीफा हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। शिवराज सिंह डैमेज कंट्रोल में लगे हैं। इसी के चलते उन्होंने बांधवगढ़ से बयान भी जारी किया।
अटेर उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया को अत्याचारी कहा था। यशोधरा राजे सिंधिया इसी बात से नाराज हैं। उनका कहना है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने गहने बेचकर भाजपा को खड़ा किया और आज उसी भाजपा का मुख्यमंत्री राजमाता को सरेआम अपमानित कर रहा है। राजमाता सिंधिया और उनके पति को अत्याचारी बता रहा है।
हवा दे रहे शिव विरोधी
इस आग को हवा भाजपा में मौजूद शिवराज सिंह विरोधी दिग्गज नेता दे रहे हैं। इस मामले में सभी दिग्गज एक साथ शिवराज सिंह को अकेला छोड़कर अलग हो गए हैं। कोई बात संभालने की कोशिश नहीं कर रहा। दूसरी ओर शिवराज कैंप की ओर से लगातार यह मैसेज यशोधरा तक दिया जा रहा है कि अटेर में चुनाव है और उनके इस्तीफे से गलत संदेश जा सकता है। शिवराज के क्राइसिस मैनेजर इस संकट का समाधान निकालने की कोशिशों में लगे हुए हैं। दूसरी ओर भाजपा आलाकमान भी इस पर नजर बनाए हुए हैं।
भाजपा में मौजूद शिवराज के विरोधियों का यह मानना है कि जिस समय अटेर में चुनाव हो रहा है, वैसे में आजादी के पहले की बातें करने का क्या मतलब हो सकता है। इस बयान का चुनाव के समय में कोई मतलब ही नहीं था। एकतरह से इस बयान के बाद भाजपा उम्मीदवार की स्थिति कमजोर भी हो सकती है।
सीएम शिवराज की मुश्किलें इसलिए अधिक बढ़ गई हैं कि प्रदेश भाजपा का एक भी बड़ा नेता अबतक उनके सपोर्ट में नहीं आया है। पूर्व सीएम कैलाश जोशी ने भी कहा है कि इस तरह के बयान से परहेज रखा जाना चाहिए।