आईपीएस मुकेश गुप्ता के साले, डॉ. मिक्की के भाई क्यों नाराज हैं सरकार से ?

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रायपुर.

सस्पेंडेड आईपीएस मुकेश गुप्ता का मसला छत्तीसगढ़ सरकार के लिए गले की फांस बनकर रह गया है. डॉ. मिक्की मेहता के भाई और स्पेशल डीजी मुकेश गुप्ता के साले यानि कि माणिक मेहता सरकार और उसके तंत्र से नाराज चल रहे हैं. आखिर ऐसा क्यूंकर हो रहा है

दरअसल मामला पारिवारिक विवाद से निकलकर सामाजिक और राजनीतिक-प्रशासनिक स्तर पर गंभीर हो गया है. हम आपको बता देते हैं कि डॉ. मिक्की मेहता का निधन 7 सितंबर 2001 को हुआ था.

रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) मुकेश गुप्ता को संदेहास्पद परिस्थितियों में मिक्की मेहता की मौत का जिम्मेदार उनकी मां श्यामा और भाई माणिक मेहता मानते रहे.

पीडि़त परिवार ने तब आईपीएस गुप्ता के खिलाफ शिकवा-शिकायत का जो क्रम चालू किया था वह आज दिनांक तक पूरा नहीं हो पाया है. मिक्की को आईपीएस मुकेश गुप्ता की दूसरी बीवी बताया जाते रहा है.

एक भाई की कलम से…

सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रहे माणिक मेहता ने रक्षाबंधन के पूर्व एक मार्मिक पोस्ट किया है. 8 अगस्त को उन्होंने एक भाई की कलम से लिखा था कि बस चेहरे बदल गए हैं पर व्यवस्था वैसी ही है.

इसी पोस्ट में वह दिवंगत बहन मिक्की को याद करते हुए लिखते हैं कि उन्हें इंसाफ दिलवाने की चाह लगता है इस राखी पर भी अधूरी ही रह जाएगी. इसके लिए वह कुछ भ्रष्ट, दोमुंहे, कामचोर अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैं.

वह आगे लिखते हैं कि वैसे भी निकम्मे, बेईमानों को अहम पदों पर बैठाने से यही परिणाम अपेक्षित हो सकता है. अब तो सारी उम्मीद केवल माननीय मुख्यमंत्री जी से है यह लिखते हुए वह नामों का उल्लेख नहीं करते हैं.

10 अगस्त को फिर वह “क्यों ट्रेस नहीं कर पा रही छग पुलिस एक दागी पुलिस वाले को” शीर्षक से सोशल मीडिया में सक्रिय नजर आते हैं. इसमें उन्होंने पांच सवाल उठाए हैं.

पहला किसी वरिष्ठ अधिकारी की लंबित जांच से जुड़ा हुआ लिखते हुए वह जांच खुल जाने से डरने का उल्लेख करते हैं. दूसरा वरिष्ठ अधिकारी के असफल होने पर उस पद पर आसीन होने से जुड़ा हुआ है.

तीसरा कारण जिस जिले में गैरजमानती अपराध दर्ज हुआ है वहां के अधिकारी बेकार-बिकाऊ हैं. चौथा कारण मांडवाली के भाव बढऩे की ओर इशारा करता है. पांचवे में ऊपर के सभी चार कारण गिनाए गए हैं.

माणिक मेहता आगे लिखते हैं कि उत्तर चाहे जो भी हो इज्जत का दही तो मुखिया जी का हो रहा है. समस्त जिम्मेदारों को 15 अगस्त तक की मोहलत देते हुए वह 16 अगस्त से कुछ कर दिखाने की बात लिख रहे हैं.

इसी दिन उनका सोशल मीडिया में एक और पोस्ट आता है. इसमें वह लिखते हैं कि कैग की जद में आए पुलिस विभाग के एक आला अधिकारी अपने एक कनिष्ठ भगौड़े अधिकारी को बचाने में लग गए हैं.

इसी में वह आगे बताते हैं कि आला अधिकारी की भगौड़े अधिकारी ने चूड़ी को टाइट कर दिया है. 22 तारीख का इसमें उल्लेख किया गया है कि उस दिन किसी मामले की जांच से उन्हें मुक्ति मिल जाएगी.

इसमें उन्होंने आगे लिखा है कि यह वही अधिकारी है जो अपने कार्यालय में बैठकर पत्रकारों की चाटूकारिता करता है. भ्रम फैलाता है कि मुखिया इस मामले में नूरा कुश्ती कर रहे हैं.

जनमानस की उम्मीदों का उल्लेख करते हुए वह लिखते हैं कि मुखिया जी ने यदि तत्काल संज्ञान नहीं लिया तो जिस उम्मीद से सरकार चुनी थी वह बेकार हो जाएगा. इसमें उन्होंने चेताया है कि आने वाले दिनों में वह दस्तावेज ले कर आएंगे.

माणिक मेहता यहीं पर नहीं रूके. आज उन्होंने एक और पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने “अधिकारिक नूरा कुश्ती का सटीक उदाहरण” शीर्षक से लिखा है कि एमजीएम की जांच राम भरोसे…

… थाना सुपेला में दर्ज अपराध के भगौड़े टकले आरोपी की गिरफ्तारी राम भरोसे… डॉ. मिक्की मर्ग की पुन: जांच पर पाए गए तथ्यों पर विधि अनुरूप कार्यवाही राम भरोसे… लगता है राज्य की कांग्रेस सरकार के होनहार अधिकारी राम के भरोसे ही चल रहे हैं.

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