कहीं महिलाओं का चीरहरण हो रहा है तो कहीं हत्या हो रही है… कहीं पर किसी तरह के उपद्रव पर रोक लगाने के स्थान पर पुलिस अवैध कमाई में जुटी हुई है… महकमे के इकबाल को ललकारने के लिए थक हारकर पुलिस महानिदेशक मातहतों को फोन लगाते हैं. वह तब अपना माथा पकड़ लेते हैं जब उन्हें बताया जाता है कि फलां फलां जिले के पुलिस अधीक्षक महोदय अभी दफ़्तर नहीं पहुँचे हैं. ऐसा दिन के तकरीबन 11 बजे के बाद होता है. तभी तो यहाँ लिखा ( पूछा ) गया है कि “डीजीपी भी क्या करें जब एसपी ही समय पर नहीं पहुँचते दफ़्तर..!
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लखनऊ.
जी हाँ… मामला उस उत्तर प्रदेश का है जहाँ हर किसम के हालात को उत्तम बनाने माननीय मुख्यमंत्री महोदय दिन रात एक किए हुए हैं. कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने किए जा रहे प्रयास लेकिन अब तक पूरी तरह सफल होते नज़र नहीं आए हैं.
इतना जरूर है कि स्थिति पहले से सुधरी है. ऐसा बताने वाले एक से दो और दो से चार की बढ़ती सँख्या में सामने आने लगे हैं.
फिर भी रह गई कमीबेशी को सुधारने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) स्वयं लगे हुए हैं. लेकिन दुर्भाग्य से डीजीपी महोदय का अनुभव इस मामले में कड़वा ही होने का अहसास हो रहा है.
कैसे उजागर हुई लेटलतीफी ?
वह तो भला हो डीजीपी प्रशांत कुमार के स्टाफ और आफिस का जिसने आईपीएस आफिसर्स की कलई खोल दी. नहीं तो ऐसे किसी फोन की जानकारी भले किसे होती ?
… और तो और प्रदेश सहित देश का आम जनमानस अपने पुलिस आफिसर्स की समयबद्धता से वाकिफ ( कैसे ) हो पाता. सारा मामला डीजीपी के जीएसओ एन. रविंदर की ओर से जारी एक पत्र ने उजागर किया है.
लेटलतीफी की ओर इशारा करते हुए डीजीपी की ओर से पत्र भेजने वाले जीएसओ ने लिखा है कि “शासनादेश के अनुसार, समय से आफिस में उपस्थित होना आवश्यक है, जिसका कडा़ई से अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने की आवश्यकता है.”
जीएसओ का पत्र बताता है कि डीजीपी कुछ अधिकारियों से फोन पर बात करना चाह रहे थे लेकिन अधिकारी साढे़ 11 बजे तक आफिस नहीं पहुँचे. जन समस्याओं के निराकरण के लिए समय से आफिस में उपलब्धता आवश्यक बताते हुए डीजीपी द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देश का जीएसओ ने पत्र में उल्लेख किया है.
दरअसल, डीजीपी प्रशांत कुमार ने अफसरों की उनके दफ़्तरों में उपस्थिति चेक करने का निर्णय लिया था. निर्णय अनुसार पुलिस मुख्यालय ( पीएचक्यू ) से पुलिस के विभिन्न अधिकारियों के कार्यालयों में फोन लगवाए गए.
चूँकि फोन कार्यालयों के लैंड लाइन पर लगवाए गए थे इस कारण किसी भी तरह का किंतु परंतु करने का अवसर आईपीएस आफिसर्स को नहीं मिल पाया. समय पर अपने कार्यालयों में उपस्थित नहीं हो पाने वाले अधिकारियों में एडीजी, आईजी, डीआईजी से लेकर एसपी ( पुलिस अधीक्षक ) में से कौन कौन शामिल था यह पता नहीं चल पाया है.
लेकिन जीएसओ ने अपने परिपत्र में लिखा है कि कई जिलों के पुलिस कप्तान सुबह 11.30 बजे तक अपने आफिस नहीं पहुँचे थे. बहरहाल, डीजीपी ने सभी आफिसर्स को समय से दफ़्तर पहुँच कर जन सुनवाई के निर्देश दिए हैं.