नेशन अलर्ट/9770656789
www.nationalert.in
रायपुर। प्रदेश की राजधानी से पहली मर्तबा सांसद चुने जाने के बाद दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने अंततः विधानसभा से इस्तीफा दे दिया तो सवाल इस बात का उठ रहा है कि अब इस सीट से किसे प्रत्याशी बनाया जा सकता है ? चौंकाने वाला नाम मनोज शुक्ला का सुनाई देने लगा है जिन्हें बृजमोहन का हनुमान माना जाता है।
उल्लेखनीय है कि बृजमोहन अग्रवाल का प्रदेश की राजनीति में दबदबा रहा है। वह अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से भाजपा के महत्वपूर्ण नेता रहे हैं। सुन्दरलाल पटवा कैबिनेट में वह पहली बार राज्यमंत्री बनाए गए थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2000 में जब छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बना तब से लेकर अब तक बृजमोहन अग्रवाल के आसपास कई विधायक आए और गए लेकिन उनके किले को कोई नहीं डगमगा पाया। कांग्रेस ने हर बार एक नया प्रत्याशी उतारकर बृजमोहन को हराने की भरसक कोशिश की लेकिन उनकी जीत का प्रतिशत लगातार बढ़ते रहा।
अब जबकि पहली मर्तबा उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया गया तो पहले दिन से लड़ाई इस बात की थी कि जीत तो होगी ही लेकिन कितने अधिक मतों से जीत होगी इस पर मेहनत करनी है। वह मेहनत रंग भी लाई और बृजमोहन ने छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक जीत हासिल की।
बृजमोहन के सांसद बनने के साथ ही उन्हें नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा होने लगी थी लेकिन यह परवान नहीं चढ़ी। बृजमोहन और उनके समर्थक थोड़े निराश हुए। निराशा के बीच बृजमोहन ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से सोमवार को यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि भूलचूक के लिए मुझे माफ कर देना।
इस इस्तीफे के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा में चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। प्रदेश के साय मंत्रिमंडल में बृजमोहन की जगह लेने वाले विधायकों के बीच भी दौड़भाग हो रही है और इधर दक्षिण से पार्टी की टिकिट प्राप्त करने वाले भाजपाई भी अपनी गोटी बिछाने लगे हैं। कभी कोई नाम सामने आता है तो कभी कोई।
हनुमान हैं मनोज
बृजमोहन अग्रवाल और मनोज शुक्ला का सानिध्य एक दो नहीं बल्कि वर्षों पुराना है। दसों साल से बृजमोहन अग्रवाल की राजनीति की चाक चौबंध व्यवस्था मनोज शुक्ला संभालते रहे हैं। मनोज को उनके जानकार बृजमोहन का हनुमान कहकर बुलाते रहे हैं।
अब इस हनुमान की शायद किस्मत उन्हें नई दिशा में ले जाएगी। चूंकि बृजमोहन अग्रवाल कि उस सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ा जाएगा जिस सीट पर उनका दबदबा बीते 8 विधानसभा चुनाव से कायम है। इस कारण बृजमोहन अग्रवाल की पसंद का प्रत्याशी देने का प्रयास भाजपा जरूर करेगी।
इसी प्रयास के दौरान बृजमोहन की ओर से मनोज शुक्ला का नाम आगे बढ़ाया जा सकता है। शुक्ला के सहारे बृजमोहन अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े रह सकते हैं। यदि कल को पुनः विधायक बनने का अवसर आया तो बृजमोहन अग्रवाल वापस दक्षिण की दौड़ लगाएंगे। तब मनोज शुक्ला जैसा एक हनुमान उनके लिए सीट खाली कर देगा।
बहरहाल, राजनीति की राहे पथरीली हैं। इन पथरीली राहों में किसके कदम कब और क्यों डगमगा जाए इसका भरोसा नहीं किया जा सकता है लेकिन बृजमोहन अग्रवाल के लिए अपने घर परिवार के सदस्य जैसा माने जाने वाले मनोज शुक्ला का नाम आगे बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वह अब तक बतौर सहायक उनकी राजनीति संभालते भी रहे हैं।