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रायपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा है कि 35 विधायक में से महज 10 विधायक ही सफल रहे हैं। 25 विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में भी कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त नहीं मिल पाई। इस तरह की गोपनीय रपट बनाकर कांग्रेस हाईकमान को भेज दी गई है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में 68 विधायकों के चुने जाने से जिस कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई थी उसी कांग्रेस के 2023 के विधानसभा चुनाव में महज 35 विधायक चुने गए।
इन 35 में से भी 25 का प्रदर्शन 6 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव के समय गड़बड़ होता नजर आया है। मतलब इन कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में लोकसभा प्रत्याशियों को बढ़त नहीं मिल पाई। इनमें तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से लेकर मंत्री रहे उमेश पटेल, कवासी लखमा, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी क्षेत्र शामिल है।
इनके अलावा भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव, सिहावा विधायक अंबिका मरकाम, संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा, गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद, सरायपाली विधायक चातुरी नंद शामिल बताए गए हैं।
बिंद्रा नवागढ़ विधायक जनक ध्रुव, खल्लारी विधायक द्वारकाद्धीश यादव, धमतरी विधायक ओमकार साहू, खैरागढ़ विधायक यशोदा निलांबर वर्मा, डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल, डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू, लेलूंगा विधायक विद्यावती सिदार अपने क्षेत्र में लोकसभा प्रत्याशियों को बढ़त नहीं दिला पाए।
यही हाल सारंगढ़ विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े, धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया, अकलतरा विधायक राघवेन्द्र सिंह, जांजगीर चांपा विधायक व्यास कश्यप, चंद्रपुर विधायक रामकुमार यादव, कशडोल विधायक संदीप साहू, कोंटा विधायक अटल श्रीवास्तव, मस्तूरी विधायक और भाटापारा विधायक इंद्र साव के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी पीछे रहे।
इन्होंने किया बेहतर
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के सभी विधायकों का प्रदर्शन खराब रहा। 35 में से 10 विधायक ऐसे थे जिनके क्षेत्र में लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त मिली है। रामपुर विधानसभा में फूलसिंह राठिया, बिलाईगढ़ में कविता प्राण लहरे, जैजेपुर में बालेश्वर साहू, पामगढ़ में शेषराज हरवंश का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
मोहला मानपुर विधायक इंद्रशाह मंडावी, खुज्जी विधायक भोलाराम साहू, भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी, डौंडी लोहारा विधायक अनिला भेड़िया, बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी और बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल अपने अपने क्षेत्र में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशियों को बढ़त दिलाने में सफल रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कांग्रेस विधायकों के प्रदर्शन को कमतर माना है। बीते छः माह के भीतर कांग्रेस की प्रदेश में दूसरी बड़ी हार है। पहले विधानसभा चुनाव में 72 विधायकों से कांग्रेस 35 विधायकों पर आ गई और बाद में उसने लोकसभा चुनाव में 11 में से 10 सीट गवां दी।
उक्त 25 विधायकों का प्रदर्शन यदि बेहतर रहता तो कांग्रेस एक लोकसभा सीट से ज्यादा में अपने प्रत्याशी को जीता सकती थी। जांजगीर चांपा से लेकर कांकेर, रायगढ़ और राजनांदगांव जहां से पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं चुनाव लड़ रहे थे वहां से भी कांग्रेस के सांसद हो सकते थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
जांजगीर चांपा में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। सभी में कांग्रेस के विधायक हैं फिर भी उसके लोकसभा प्रत्याशी की हार हुई। कांकेर लोकसभा में 8 विधानसभा सीट आती है। 3 पर भाजपा और 5 पर कांग्रेस का कब्जा है फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी को मामूली मतों से हार झेलनी पड़ी।
रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की कुल जमा 8 सीट है। यहां भाजपा और कांग्रेस का बराबरी का कब्जा है लेकिन फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीत नहीं पाए। यही हाल राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का है जहां 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्र में से कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन उसके प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री को नजदीकी हार झेलनी पड़ी।
विधानसभा-लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब कांग्रेस संगठन में फेरबदल कर सकती है। यह फेरबदल छः माह के भीतर होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर किया जा सकता है। माना जा रहा है कि किसी बड़े नेता के स्थान पर फिलहाल दीपक बैज के ही हाथों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कमान रखी जाए।
नगरीय निकाय चुनाव के बाद 4 साल और कोई चुनाव नहीं होना है। जब चुनाव की बारी आएगी तब कांग्रेस किसी दमदार नेता को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंप सकती है। फिलहाल जिला व ब्लाक अध्यक्षों के चेहरे नए नजर आ सकते हैं।