भूपेश के लिए विनोद, गिरीश और नवाज ने संभाला मोर्चा

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राजनांदगांव. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हों लेकिन उन्हें कांग्रेस की आंतरिक उठा पटक से दो-चार होना पड़ रहा है। एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है कि तर्ज पर यहां कांग्रेस जितने चेहरे उतने गुट सरीखी नजर आती है। थक हारकर भूपेश बघेल की ओर से विनोद वर्मा और गिरीश देवांगन के अलावा राजनांदगांव के नवाज खान ने साम-दाम-दंड-भेद को पूर्ण करने मोर्चा संभाल लिया है।
वैसे जनचर्चा कहती है कि मुख्यमंत्री रहने के दिनों में भूपेश बघेल ने राजनांदगांव की ओर कोई विशेष रूझान नहीं रखा था। यहां के कांग्रेसी कार्यकर्ता भी भूपेश बघेल की सरकार के दिनों में अपने निजी कार्यों के लिए भी परेशान होते रहे थे।
इन सबके बावजूद नानुकूर करते हुए भूपेश बघेल को कांग्रेस आला कमान ने उस राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनाकर उतार दिया जिस राजनांदगांव को भूपेश बघेल पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का इलाका होने के चलते कोई बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते थे। अब आलाकमान का निर्देश था तो भूपेश मैदान में हैं जरूर लेकिन उन्हें पार्टी से बाहर के अलावा पार्टी के भीतर से होने वाले खतरों से दो-चार होना पड़ रहा है।
क्या दुर्ग में ही बची है कांग्रेस?
जनमानस के अलावा जिले के कांग्रेसी कार्यकर्ता भूपेश बघेल को प्रत्याशी बनाए जाने के चलते कई तरह के सवाल करते है इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेन्द्र दास के वक्तव्य में नजर आता है। सुरेन्द्र दाऊ पूछते हैं कि क्या दुर्ग में ही कांग्रेस बची है?
इसे स्पष्ट करते हुए वह बताते हैं कि भूपेश बघेल राजनांदगांव से चुनाव लड़ने भेज दिए गए। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू महासमुंद से चुनाव लड़ने भेज दिए गए। और तो और दुर्ग जिले के ही देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से चुनाव लड़ने भेज दिया गया। दुर्ग से राजेन्द्र साहू चुनाव लड़ ही रहे हैं। मतलब साफ है कि 11 संसदीय क्षेत्र वाले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास अकेले दुर्ग से ही 4 प्रत्याशी निकले। इसे लेकर कई तरह के सवाल हो रहे हैं।
इधर राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में सुरेन्द्र दाऊ जैसे मजबूत कार्यकर्ताओं का दमदार विरोध भूपेश बघेल को झेलना पड़ रहा है। चूंकि चुनाव का समय है इस कारण भूपेश बघेल मंच से सुरेन्द्र दाऊ जैसे कार्यकर्ताओं को बोलने से रोक भी नहीं सकते हैं। इसके बचाव में उन्होंने अपनी विश्वसनीय टीम को मोर्चे पर लगा दिया है ऐसी खबर मिली है।
राजधानी रायपुर से विनोद वर्मा बुला लिए गए हैं। बाहरी प्रत्याशी होने के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों हजारो-हजार वोट से हार झेलने वाले गिरीश देवांगन पुनः राजनांदगांव की गलियों, चौंक-चौराहों पर नजर आने लगे हैं। विनोद और गिरीश का साथ देने के लिए यहां पूर्व जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज खान तैयार बैठे हुए हैं। तीनों की तिकड़ी अब भूपेश बघेल की नाव को खेने का काम कर रही है। देखना यह है कि नाव किनारे लग पाती भी है कि नहीं?
बहरहाल, सच्चाई जानने हमने संपर्क साधने का प्रयास किया था। नवाज खान से संपर्क हो ही नहीं पाया तो विनोद वर्मा ने जो नंबर हमारे पास उपलब्ध है उस पर कॉल किए जाने पर घंटी बजती रहने के बाद भी फोन नहीं उठाया। स्थानीय स्तर पर रूपेश दुबे को कॉल किया गया लेकिन उन्होंने भी चुनावी भारी-भरकम व्यस्तता के चलते फोन उठाने में कोताही बरती। इस कारण इन सभी का पक्ष पता नहीं चल पाया।

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